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हरियाणा को पंजाब नहीं देगा पानी, जल बंटवारे पर राजनीतिक दल एकजुट

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Water sharing dispute case : पंजाब एवं हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर बढ़ते तनाव के बीच पंजाब की आम आदमी पार्टी नीत सरकार की ओर से शुक्रवार को यहां बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में इस मुद्दे पर सभी दलों ने एकजुट रुख अपनाया। बैठक में भाग लेने के लिए आप, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित विभिन्न दलों के प्रतिनिधि पहुंचे। दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर नया विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि पंजाब सरकार ने भाजपा शासित हरियाणा को और अधिक पानी देने से इनकार कर दिया है। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने इस मुद्दे पर सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।

सर्वदलीय बैठक के दौरान इस बात पर विचार किया गया कि आने वाले दिनों में पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकती हैं। बैठक में भाग लेने के लिए आप, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित विभिन्न दलों के प्रतिनिधि पहुंचे। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री भगवंत मान ने की।

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मान के अलावा, बैठक में भाग लेने वाले अन्य नेताओं में आप की प्रदेश इकाई के प्रमुख अमन अरोड़ा, भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़, भाजपा नेता मनोरंजन कालिया, कांग्रेस के तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और राणा केपी सिंह, शिरोमणि अकाली दल के दलजीत सिंह चीमा और बलविंदर सिंह भूंदड़, बसपा की पंजाब इकाई के प्रमुख अवतार सिंह करीमपुरी और पार्टी विधायक नछत्तर पाल शामिल हैं।

सर्वदलीय बैठक के बाद मान ने कहा, बैठक करीब दो घंटे तक चली और सभी दलों ने जल मुद्दे पर अपने विचार रखे। केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, पंजाब को दरकिनार कर यह मुद्दा हम पर थोपा गया है। उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने के फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी के कुछ अधिकारियों को भी रातों-रात बदल दिया गया।

मान ने कहा, सर्वदलीय बैठक के दौरान हमने इसकी निंदा की। हम पहले से ही मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दे रहे हैं। हमें धन्यवाद देने के बजाय, वे इस मुद्दे को कहीं और ले गए। उन्होंने कहा, सभी दलों ने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि दलगत भावना से ऊपर उठकर हम पंजाब के साथ खड़े हैं। यह मुद्दा पंजाब की जीवन रेखा से जुड़ा है- जो पानी का मुद्दा है। इस मुद्दे पर सभी दल एकजुट हैं।

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शिरामणि अकाली दल के नेतस भूंदड़ ने कहा सभी दलों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर यह फैसला किया है। उन्होंने कहा, यह मुद्दा दलों के बारे में नहीं है, बल्कि पंजाब से जुड़ा है। हम पंजाब के साथ खड़े हैं। कानूनी तौर पर हम सही हैं। यह (जल बंटवारे का मुद्दा) पंजाब की जीवन रेखा से जुड़ा है। इस मुद्दे पर आम सहमति बनी है कि हम सभी एकमत हैं।

मान ने कहा कि विभिन्न दलों की ओर से कुछ सुझाव भी दिए गए, जिनमें यह भी शामिल है कि हमें इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए। उन्होंने सोमवार को कहा, हम एक विशेष सत्र आयोजित करेंगे और इसके लिए एजेंडा तय किया जा रहा है। मान ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें भी हकीकत पता है कि अंतिम छोर तक पानी कितनी मुश्किल से पहुंचता है, क्योंकि वह भी एक किसान परिवार से आते हैं।’

हरियाणा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, पूरे साल के लिए कोटा दिया गया है, फिर वे इसे खत्म कर लेते हैं और अधिक मांगते हैं, यह उचित नहीं है। जाखड़ ने कहा कि भाजपा की पंजाब इकाई राज्य के हितों के साथ खड़ी है, लेकिन उन्हें लगता है कि इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाया जा सकता था। उन्होंने कहा, जब हम पानी के मुद्दों (एसवाईएल सहित) की बात करते हैं, जो लंबे समय से चले आ रहे हैं, तो पंजाब के पास एक भी बूंद अतिरिक्त नहीं है।

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भाखड़ा से संबंधित वर्तमान जल बंटवारे के मुद्दे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, मैंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि यह टकराव पूरी तरह से टाला जा सकता है। इसे पहले ही टाला जाना चाहिए था। मैंने कहा कि हम (इस मामले में) केंद्र (सरकार), प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से बात कर सकते हैं।

जाखड़ ने पिछले सप्ताह पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि यह वह समय नहीं है, जब पंजाब और हरियाणा के बीच जल मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने जल मुद्दे पर कहा, हमें राई का पहाड़ बनाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आप सरकार को बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने का सुझाव दिया।

इसके साथ ही जाखड़ ने यह भी कहा, एक बात तो साफ है कि कोई भी हमसे जबरदस्ती कुछ नहीं ले सकता, पंजाबियों को यह बर्दाश्त नहीं है। प्यार से कोई भी हमसे कुछ भी ले सकता है। हमारे देश की संघीय व्यवस्था में हर राज्य का अपना अधिकार है।

मान ने बृहस्पतिवार को कहा था कि आप सरकार पड़ोसी राज्य के लिए और पानी छोड़ने की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा अपने हिस्से का पानी पहले ही इस्तेमाल कर चुका है। मान ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने के फैसले के लिए भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) पर भी निशाना साधा था और कहा था कि पंजाब के अधिकारों की इस तरह से ‘लूट’ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा था कि बोर्ड को उनके राज्य से संबंधित मामलों में ‘निर्देश’ देने का कोई अधिकार नहीं है।

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मान ने रूपनगर जिले में नांगल बांध का दौरा किया था, जहां राज्य सरकार में मंत्री हरजोत सिंह बैंस और पार्टी कार्यकर्ताओं ने बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को पानी देने के फैसले के विरोध में धरना दिया था। पंजाब पुलिस ने रूपनगर जिले में भाखड़ा बांध के नीचे स्थित नांगल बांध पर भी सुरक्षा बढ़ा दी है।

बैंस ने कहा कि उन्होंने नांगल बांध पर ‘नियंत्रण’ कर लिया है और जिस कमरे से पानी की आपूर्ति नियंत्रित की जाती है, उसे बंद कर दिया गया है और उसकी चाबी पुलिस को दे दी गई है। बीबीएमबी ने पंजाब सरकार की कड़ी आपत्ति के बावजूद बुधवार को हरियाणा को पानी छोड़ने का निर्णय लिया। पंजाब सरकार का दावा था कि पड़ोसी राज्य ने पहले ही अपने आवंटित हिस्से का 103 प्रतिशत पानी उपयोग कर लिया है।

मान ने बुधवार को हुई बीबीएमबी की बैठक का हवाला देते हुए भाजपा शासित राज्यों हरियाणा और राजस्थान पर बीबीएमबी से अधिक पानी प्राप्त करने के लिए गुंडागर्दी, तानाशाही और मिलीभगत करने का आरोप लगाया। बीबीएमबी द्वारा भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर बांधों से जल वितरण को नियंत्रित किया जाता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान साझेदार राज्य हैं, जो सिंचाई सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए अपनी आवश्यकताओं को भाखड़ा और पोंग बांधों से पूरा करते हैं।

हालांकि, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब की आप सरकार पर जल बंटवारे के मुद्दे पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब पेयजल की आपूर्ति रोकी गई है। सैनी ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए आप पर निशाना साधा और इसे बेहद खेदजनक और राष्ट्रीय एकता की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सिंचाई का मामला नहीं, बल्कि आवश्यक पेयजल का मामला है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी बुनियादी मानवीय आवश्यकता को कभी भी राजनीतिक हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, पानी एक जीवन रेखा है, न कि राजनीतिक हथियार। हमारे बड़े भाई के रूप में, पंजाब को उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए, न कि जो सही और नैतिक रूप से साझा किया गया है, उसे रोकना चाहिए। (भाषा)
फोटो सौजन्य : टि्वटर/एक्स
Edited By : Chetan Gour

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