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FASTag : सरकार ने लागू किया नया टोल नियम, बिना FASTag वाहन चालकों पर भारी जुर्माना

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FASTag : केंद्र की सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पूरे देश में टोल के नियमों में जबरदस्त बदलाव कर दिया है। ये बदलाव FASTag (FASTag) को अनिवार्य बनाने और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए हैं। मंत्रालय का कहना है कि इस नई पॉलिसी से टोल प्लाजा (toll plaza) पर कैश का इस्तेमाल कम होगा और वाहन बिना रुके आसानी से निकल सकेंगे।

राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 में संशोधन करके ये नियम लागू किए गए हैं। सरकार का मकसद है कि सभी ड्राइवर FASTag अपनाएं, ताकि ट्रैफिक स्मूथ हो और टोल कलेक्शन ट्रांसपेरेंट बने।

नए नियम: शुल्क में कितना फर्क पड़ेगा?

अब सुनिए, नए नियम के मुताबिक अगर किसी वाहन का टोल FASTag से 100 रुपये है, तो बिना FASTag के कैश पेमेंट पर आपको 200 रुपये चुकाने पड़ेंगे। लेकिन अगर आप UPI (UPI) या नेट बैंकिंग, स्कैन पेमेंट जैसे डिजिटल तरीके से देते हैं, तो सिर्फ 125 रुपये ही लगेंगे। ये फर्क इसलिए है ताकि लोग कैश छोड़कर डिजिटल सिस्टम की ओर बढ़ें।

इससे टोल वसूली तेज और पारदर्शी हो जाएगी, और कोई बहाना नहीं चलेगा। मंत्रालय ने साफ कहा है कि FASTag न लगवाने वालों को मुश्किल होगी, लेकिन UPI यूजर्स को थोड़ी राहत मिलेगी।

डिजिटल पेमेंट से जाम और पॉल्यूशन में कमी

सरकार को भरोसा है कि FASTag और डिजिटल पेमेंट बढ़ने से टोल प्लाजा पर लंबी लाइनें कम हो जाएंगी। इससे न सिर्फ आपका समय बचेगा, बल्कि वाहन कम रुकेंगे तो फ्यूल की बचत होगी और प्रदूषण भी घटेगा। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि ये कदम टोल कलेक्शन में पारदर्शिता लाएगा और इंसानी दखल कम करेगा। कल्पना कीजिए, हाईवे पर बिना रुके दौड़ते वाहन – ये तो ड्रीम जैसा है, और अब ये हकीकत बनने वाला है FASTag के दम पर।

UPI वालों को 25% ज्यादा – ये है राहत का फॉर्मूला

कैश देने वालों को तो डबल शुल्क का झटका लगेगा, लेकिन डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए सरकार ने 1.25 गुना शुल्क तय किया है। ये UPI (UPI) और दूसरे डिजिटल ऑप्शन्स को प्रमोट करने का शानदार तरीका है। एक्सपर्ट्स इसे भारत को कैशलेस इकोनॉमी बनाने की दिशा में बड़ा स्टेप बता रहे हैं। अगर आप अभी से UPI अपनाते हैं, तो 15 नवंबर के बाद टोल प्लाजा पर कोई टेंशन नहीं।

टोल सिस्टम बनेगा सुपर मॉडर्न

नए नियमों से टोल प्लाजा की पूरी मैनेजमेंट सिस्टम डिजिटल हो जाएगा। मंत्रालय ने सभी टोल ऑपरेटर्स को ऑर्डर दिया है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन को स्ट्रॉन्ग बनाएं और FASTag स्कैनिंग को और फास्ट करें। अब हर वाहन की एंट्री-एग्जिट का रिकॉर्ड रीयल टाइम डेटा से होगा, जिससे चोरी-चकारी या फ्रॉड का नामोनिशान नहीं रहेगा। ये बदलाव FASTag को और पावरफुल बनाएंगे।

15 नवंबर से शुरू – FASTag लगवाएं या पेनल्टी भुगतें

गुड न्यूज ये कि ये नियम 15 नवंबर 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएंगे। मतलब, FASTag न होने पर ज्यादा पेमेंट की मार झेलनी पड़ेगी। मंत्रालय ने लोगों से गुजारिश की है कि जल्दी से FASTag एक्टिवेट कर लें या UPI जैसे डिजिटल ऑप्शन चुनें, वरना ट्रिप के दौरान एक्स्ट्रा खर्चे का दर्द होगा।

डिजिटल ट्रांसपोर्टेशन में भारत का मास्टरस्ट्रोक

ये चेंज डिजिटल इंडिया मिशन का हिस्सा है। FASTag और डिजिटल टोल कलेक्शन से न सिर्फ ट्रैवलर्स को ईज मिलेगी, बल्कि गवर्नमेंट को रेवेन्यू का एकदम सही अकाउंट रखने में मदद मिलेगी। अब हाईवे पर कैशलेस, फास्ट और क्लीन टोलिंग का जमाना आ गया है – UPI और FASTag इसे रियल बनाएंगे।

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