Valley Fever Symptoms : अमेरिका में जहां लोग बर्ड फ्लू और खसरे जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, वहीं कैलिफोर्निया एक नए खतरे का सामना कर रहा है। वैली फीवर नाम की यह बीमारी धीरे-धीरे लेकिन खतरनाक तरीके से फैल रही है। पहले इस बीमारी के मामले गिनती के हुआ करते थे, लेकिन अब आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जुलाई 2025 तक 6,761 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। अगर यही रफ्तार रही, तो 2025 में कुल मामले 2024 के 12,595 मामलों को भी पीछे छोड़ सकते हैं। आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामले क्यों बढ़ रहे हैं?विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन ने वैली फीवर को फैलने का “सही माहौल” दे दिया है। बारिश के मौसम में मिट्टी में मौजूद एक खास तरह का फंगस पनपता है। गर्मी और तेज हवाओं के साथ यह फंगस सूखकर हवा में उड़ने लगता है। जब लोग सांस के जरिए इन छोटे-छोटे कणों को अपने शरीर में ले जाते हैं, तो यह बीमारी शुरू हो जाती है। पहले यह बीमारी ज्यादातर सैन जोकिन वैली जैसे इलाकों में दिखाई देती थी, लेकिन अब यह सेंट्रल कोस्ट और बे एरिया तक फैल चुकी है। मॉन्टेरी काउंटी में मामलों में 260% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि वेंचुरा काउंटी में 92% ज्यादा केस सामने आए हैं।
वैली फीवर के लक्षण क्या हैं?वैली फीवर के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1 से 3 हफ्ते बाद दिखाई देने लगते हैं। इनमें शामिल हैं:
- लगातार बुखार और खांसी: यह बीमारी फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू हो सकती है, जिसमें बुखार और सूखी खांसी आम है।
- शारीरिक दर्द: शरीर और जोड़ों में दर्द, खासकर पैरों और पीठ में, इस बीमारी का एक बड़ा लक्षण है।
- थकान और सांस फूलना: मरीजों को थकान और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- रात में पसीना: रात के समय अत्यधिक पसीना आना भी एक लक्षण है।
- त्वचा पर चकत्ते: कुछ लोगों की त्वचा पर लाल चकत्ते उभर सकते हैं।
कई बार लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह बीमारी हफ्तों या महीनों तक रह सकती है। गंभीर स्थिति में यह फेफड़ों से निकलकर दिमाग, हड्डियों और रीढ़ तक पहुंच सकती है। ऐसे मरीजों को लंबे समय तक, कभी-कभी पूरी जिंदगी, एंटी-फंगल दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं।
किन लोगों को है ज्यादा खतरा?वैली फीवर किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोग इसके लिए ज्यादा संवेदनशील हैं। खेतों में काम करने वाले मजदूर, निर्माण स्थल पर काम करने वाले कर्मचारी और अग्निशमन कर्मी जैसे लोग, जो धूल भरे माहौल में काम करते हैं, इस बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। इसके अलावा, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग भी जोखिम में हैं। डायबिटीज के मरीजों में भी इस बीमारी के गंभीर प्रभाव देखे गए हैं। कुछ नस्लीय समूह जैसे अफ्रीकी-अमेरिकी, हिस्पैनिक और फिलीपीनो समुदाय के लोग भी इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ लोग भी कई बार इसकी चपेट में आकर गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।
बचाव है सबसे जरूरीवैली फीवर से बचने का सबसे अच्छा तरीका है सावधानी बरतना। कुछ आसान उपाय इस बीमारी से बचाने में मदद कर सकते हैं:
- जरूरी होने पर N95 मास्क पहनें, खासकर धूल भरे इलाकों में।
- तेज हवाओं और धूल भरे मौसम में घर के दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें।
- एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, ताकि हवा में मौजूद कण घर के अंदर न आएं।
- अगर खांसी या थकान 7-10 दिनों तक ठीक न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
वैली फीवर कोई छोटी-मोटी बीमारी नहीं है। अगर समय पर इसका इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए, लक्षण दिखते ही लापरवाही न बरतें और डॉक्टर की सलाह लें।
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