India GDP Revision : भारत की आर्थिक तस्वीर अगले साल से बिल्कुल बदलने वाली है। सरकार ने इस बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे लोगों की कमाई और खर्च को अब नए तरीके से मापा जाएगा। इस बदलाव के तहत GDP (GDP), महंगाई, औद्योगिक उत्पादन जैसे बड़े आर्थिक आंकड़ों को अपडेट किया जाएगा ताकि ये आंकड़े आज के समय की असली तस्वीर दिखा सकें।
खास बात यह है कि अब एक नया इंडेक्स भी आएगा जो तेजी से बढ़ रहे सर्विस सेक्टर की प्रगति को ट्रैक करेगा। ये बदलाव GDP (GDP) को और सटीक बनाएंगे, जिससे देश की इकोनॉमी की सच्ची ताकत सामने आएगी।
नए आंकड़े, नया बेस ईयर
अभी जो भी आर्थिक आंकड़े आते हैं, वे 2011-12 के बेस ईयर यानी उस समय की कीमतों पर आधारित होते हैं। तब लोगों की खर्च करने की आदतें आज से बहुत अलग थीं। उस वक्त खाने-पीने पर ज्यादा खर्च होता था, लेकिन अब स्मार्टफोन, इंटरनेट और डिजिटल सेवाएं हमारी जिंदगी का बड़ा हिस्सा बन गई हैं।
इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि बेस ईयर को अपडेट किया जाए ताकि नए आंकड़े सही और वास्तविक स्थिति को दर्शा सकें। ये कदम GDP (GDP) को मॉडर्न इंडिया की हकीकत से जोड़ेगा, जहां डिजिटल लाइफ स्टाइल ने सब कुछ बदल दिया है।
27 फरवरी 2026 को GDP (GDP) के नए आंकड़े जारी होंगे जो 2022-23 की कीमतों पर आधारित होंगे। इससे पहले 7 जनवरी को बजट के लिए जो अनुमान आएंगे, वे अभी पुराने बेस ईयर पर ही होंगे। फरवरी में महंगाई के नए आंकड़े भी आएंगे जो 2023-24 के दामों को ध्यान में रखेंगे। इन अपडेट्स से CPI (CPI) जैसे इंडिकेटर्स भी ज्यादा रेलेवेंट हो जाएंगे, जो आम लोगों के जेब पर असर डालते हैं।
सर्विस सेक्टर के लिए नया इंडेक्स
भारत की अर्थव्यवस्था में सर्विस सेक्टर की भूमिका सबसे बड़ी है, लेकिन अब तक इसे अलग से मापने का कोई खास तरीका नहीं था। इस बार पहली बार एक नया सर्विस सेक्टर इंडेक्स आएगा जो डिजिटल, लॉजिस्टिक्स और अन्य तेजी से बढ़ते क्षेत्रों को ट्रैक करेगा।
यह बदलाव इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज के समय में यह सेक्टर देश के आर्थिक विकास का बड़ा हिस्सा बन चुका है। नया सर्विस सेक्टर इंडेक्स GDP (GDP) को बैलेंस करेगा, ताकि सर्विसेज की ग्रोथ को सही क्रेडिट मिले।
महंगाई और खर्च के आंकड़ों में सुधार
सरकार सिर्फ GDP (GDP) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि महंगाई को मापने वाले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में भी सुधार कर रही है। अभी जो कीमतें और वस्तुओं का वजन तय किया जाता है, उनमें बदलाव होगा। खासकर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से मिलने वाले अनाज के खर्च को भी अब सही तरीके से आंकड़ों में शामिल किया जाएगा।
इसका मतलब है कि अब महंगाई का असली असर और बेहतर समझा जा सकेगा। CPI (CPI) के इस रिविजन से कंज्यूमर स्पेंडिंग पैटर्न ज्यादा एक्यूरेट दिखेंगे, जो इकोनॉमी की हेल्थ को बेहतर तरीके से रिफ्लेक्ट करेगा।
आम आदमी को होगा फायदा
इन बदलावों से सरकार को देश की आर्थिक स्थिति का सही और अपडेटेड आंकड़ा मिलेगा। इससे नीतियां बनाने में मदद मिलेगी जो आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर बनाने में सहायक होंगी।
जब महंगाई और GDP (GDP) के आंकड़े सटीक होंगे, तो सरकार बेहतर फैसले ले सकेगी जिससे देश के विकास को नई गति मिलेगी। ये अपडेट्स न सिर्फ CPI (CPI) को मजबूत बनाएंगे बल्कि ओवरऑल इकोनॉमिक ग्रोथ को बूस्ट देंगे, जो हर नागरिक के लिए अच्छी खबर है।
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