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जबलपुरः दीपोत्सव के पूर्व सड़कों पर दूध शाकाहार नहीं है के पोस्टर लगाकर माहौल बिगड़ने की कोशिश, तीन युवक हिरासत में

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जबलपुर, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के जबलपुर शहर के गौरीघाट क्षेत्र में sunday को लगाए गए विवादित पोस्टरों से शहर में तनाव का माहौल बन गया. इन पोस्टरों पर लिखा था है कि दूध शाकाहारी नहीं है. पुलिस ने मौके से तीन युवकों को हिरासत में लेकर वाहन और पोस्टर जब्त कर लिए हैं.

सीएसपी महादेव नगोतिया और थाना प्रभारी सुभाषचंद्र बघेल को आज सूचना मिली कि गौरीघाट क्षेत्र में कुछ युवक सड़क किनारे पोस्टर लगा रहे हैं. जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो एक छोटा हाथी वाहन में पोस्टर रखे हुए मिले और तीन युवक उन्हें चिपका रहे थे. जब उनसे अनुमति मांगी गई तो वे कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके. इसके बाद पुलिस ने सभी युवकों को हिरासत में ले लिया.

पोस्टर पर लिखा था दूध शाकाहार नहीं है, भारत दुनिया में बीफ के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. अधिक जानने के लिए ‘मां का दूध यूट्यूब पर देखें. पोस्टर पर किसी भी प्रकाशक या कंपनी का नाम नहीं था, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं.

सीएसपी महादेव नगोतिया ने बताया कि sunday शाम को गौरीघाट में दीपोत्सव का आयोजन होना था, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए . मंत्री और जनप्रतिनिधियों के स्वागत मंच भी इसी रूट पर लगाए जा रहे हैं. ऐसे में इस तरह के पोस्टर लगाना शहर का माहौल बिगाडऩे और धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश मानी जा रही है. उन्होंने बताया कि पहले से लगाए गए पोस्टरों को देखकर स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया था, जिसके बाद त्वरित कार्रवाई की गई.

पुलिस पूछताछ में एक युवक ने अपना नाम राजेश अहिरवार निवासी कोलार, भोपाल बताया. उसने बताया कि यह काम उन्हें विपुल पांडे, जो भोपाल की प्रिंस इंटरप्राइजेस नामक विज्ञापन एजेंसी चलाते हैं, ने दिया था. निर्देश था कि जबलपुर के रामपुर से लेकर गौरीघाट तक ये पोस्टर लगाए जाएं.

पुलिस ने मौके से 50 से अधिक पोस्टर जब्त किए हैं. युवकों ने बताया कि इससे पहले भी वे फ्लाईओवर ब्रिज के उद्घाटन के समय शहर में पोस्टर लगाने आ चुके हैं.

शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि आरोपी ठेके पर पोस्टर लगाने का काम करते हैं. पुलिस अब यह पता लगा रही है कि दीपावली जैसे पर्व से पहले इस प्रकार के भ्रामक और विवादास्पद संदेश फैलाने के पीछे कौन लोग या संगठन हो सकते हैं.

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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