बिहार में इस बार हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश और उसके बाद आई भारी बाढ़ की मार से राज्य के कई गांव अब तक पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं। खेतों से लेकर गलियों तक जलजमाव की समस्या बनी हुई है, जिससे ग्रामीणों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ा है। इसी बीच राजधानी पटना जिले के दो गांवों के लोगों ने नाराजगी जताते हुए आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
ग्रामीणों की नाराजगी का कारणग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के कारण उनके खेत, घर और संसाधन प्रभावित हुए हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन रहे हैं। उनका कहना है कि सालों से यह क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आता रहा है, लेकिन राहत और पुनर्वास कार्य अप्रभावी और धीमे रहे हैं। इस कारण वे चुनाव में हिस्सा लेकर केवल प्रतिनिधियों की उपस्थिति का बहाना नहीं बनना चाहते।
प्रभावित क्षेत्रों की स्थितिपटना जिले के इन गांवों में बाढ़ के कारण मुख्य सड़कें जलमग्न हैं, खेतों में फसलें नष्ट हुई हैं और पानी का निकास नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कई घरों में जलभराव बना हुआ है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी और जीवनयापन की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
चुनाव बहिष्कार का ऐलानग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, वे विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डालेंगे। उनका कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही और जलजमाव के कारण उनका जीवन प्रभावित हुआ है, इसलिए उन्हें वोट देने का कोई फायदा नहीं दिखता।
प्रशासन की प्रतिक्रियास्थानीय प्रशासन ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य और जल निकासी के प्रयास जारी हैं। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यह असंगठित और पर्याप्त नहीं है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द समस्या का समाधान किया जाएगा, लेकिन ग्रामीणों का विश्वास अब टूटता नजर आ रहा है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभावविशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में चुनाव बहिष्कार की स्थिति राजनीतिक माहौल पर असर डाल सकती है। इससे सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ सकता है कि वे जलवायु और आपदा प्रबंधन के मामले में बेहतर कदम उठाएं।