विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं, बल्कि इस बात की याद दिलाता है कि आज भी हमारे आस-पास लाखों लोग पर्याप्त भोजन से वंचित हैं। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र की संस्था, खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने की थी और 2025 में FAO अपनी 80वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस ख़ास मौके पर, हम एक बार फिर भूख, खाने की बर्बादी और कुपोषण जैसे गंभीर मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में, जहाँ मॉल, होटल और रेस्टोरेंट में खाना फेंका जा रहा है, लाखों लोग भूखे सोने को मजबूर हैं। आइए जानें कि भारत में आज भी कितने लोग भूखे सोते हैं।
भारत में आज भी कितने लोग भूखे सोते हैं?
19 करोड़ से ज़्यादा भारतीय रोज़ाना भूखे सोते हैं। यह संख्या कई देशों की कुल आबादी से भी ज़्यादा है। वहीं, भारत में हर साल लगभग 40 प्रतिशत खाना बर्बाद हो जाता है। यह लगभग ₹92,000 करोड़ मूल्य का खाद्य अपव्यय है। इसके अलावा, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि भारत भूख की सबसे गंभीर समस्या वाले देशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया में सबसे ज़्यादा भूखे लोग भारत में रहते हैं। यह आँकड़ा चीन से भी ज़्यादा है, जिसकी आबादी भारत के बराबर है।
इतने सारे लोग रोज़ भूखे क्यों सोते हैं?
जब हम सुनते हैं कि हर दिन लाखों लोग भूखे रहते हैं, जबकि हर साल लाखों टन खाना बर्बाद होता है, तो यह एक गंभीर मुद्दा लगता है। दुनिया भर में हर साल लगभग 2.5 अरब टन खाना बर्बाद होता है। कोविड-19 महामारी से पहले भी, दुनिया भर में 93 करोड़ टन खाना बर्बाद होता था। इसमें से 63 प्रतिशत घरों से, 23 प्रतिशत रेस्टोरेंट से और 13 प्रतिशत खुदरा दुकानों से बर्बाद होता था। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत, लाखों लोगों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा मिड डे मील योजना, आंगनवाड़ी कार्यक्रम और पीडीएस यानि सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी योजनाएं भूखमरी को कम करने की कोशिश कर रही हैं।
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