भारतवर्ष में देवी उपासना की परंपरा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध रही है। हिन्दू धर्म में देवी को आदिशक्ति, प्रकृति, और संवेदनाओं की जननी माना गया है। मां दुर्गा, काली, पार्वती या सती — ये सभी रूप नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। देवी के 51 शक्तिपीठों की महिमा और कथा, न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आध्यात्मिक और मानसिक बल देने वाली भी मानी जाती है।ऐसी मान्यता है कि मां सती के 51 शक्तिपीठों की कथा सुनने मात्र से जीवन के सारे संकट, कष्ट और भय समाप्त हो जाते हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से इन शक्तिपीठों की कथा सुनता या सुनाता है, उसे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
क्या हैं शक्तिपीठ?
शक्तिपीठ वे पवित्र स्थान हैं जहां मां सती के शरीर के अंग, आभूषण या वस्त्र गिरे थे। यह कथा भगवान शिव और मां सती से जुड़ी है, जो शिवपुराण और देवीभागवत पुराण में विस्तार से वर्णित है। जब राजा दक्ष ने अपने यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किया, तब मां सती ने वहीं यज्ञकुंड में अपने प्राण त्याग दिए। इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव ने तांडव प्रारंभ कर दिया और सती के शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचरण करने लगे।तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े किए, जिससे वे विभिन्न स्थानों पर गिरे और वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। हर पीठ पर देवी के किसी विशेष अंग की पूजा होती है और उनके साथ एक भैरव (शिव का रूप) भी प्रतिष्ठित रहते हैं।
भारत और नेपाल में स्थित हैं 51 प्रमुख शक्तिपीठ
51 शक्तिपीठ भारत, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में फैले हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख शक्तिपीठ हैं:
कामाख्या देवी मंदिर (असम) – यहां देवी का योनि भाग गिरा था। यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है।
वैष्णो देवी (जम्मू-कश्मीर) – माना जाता है कि यह भी शक्तिपीठों में से एक है।
कालिका मंदिर (कोलकाता) – यहां मां का पांव गिरा था।
हिंगलाज माता (पाकिस्तान) – यह सबसे प्राचीन शक्तिपीठों में से एक है।
त्रिपुर मालिनी (त्रिपुरा) – यहां देवी का दायां पांव गिरा था।
मां शारदा शक्तिपीठ (मध्यप्रदेश) – यहां मां का गला गिरा था।
हर पीठ के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो उस स्थान की ऊर्जा, ऐतिहासिकता और आध्यात्मिकता को और भी विशेष बनाती है।
कथा सुनने मात्र से कैसे दूर होते हैं संकट?
धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि—
"शक्तिपीठ कथा श्रवणं यः कुरुते श्रद्धया युतः।
सर्वं दुष्टं विनश्येत्तु, सुखं च लभते ध्रुवम्॥"
अर्थात जो व्यक्ति श्रद्धा से शक्तिपीठों की कथा सुनता है, उसके जीवन से सभी दु:ख, भय, रोग और क्लेश दूर हो जाते हैं।
यह मन को स्थिरता और आत्मबल प्रदान करता है।
देवी के अलग-अलग रूपों की महिमा जानने से नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली विपत्तियों को सहज रूप से सहन करने लगता है।
यह कथा सुनने से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
जो लोग जीवन में मानसिक तनाव, असफलता या भय से जूझ रहे हों, उन्हें इन कथाओं का नियमित श्रवण या पाठ लाभकारी माना जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शक्तिपीठों का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां सती के शक्तिपीठों से जुड़े नवरात्र, अमावस्या, पूर्णिमा आदि तिथियों पर यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा से पूजा करता है या शक्तिपीठ कथा का पाठ करता है, तो उसकी कुंडली के दोष, विशेषकर चंद्र दोष, राहु-केतु प्रभाव और शनि की पीड़ा शांत होती है।कालसर्प दोष, पित्र दोष, या ग्रहण योग जैसे ज्योतिषीय दोषों से मुक्ति के लिए कई आचार्य शक्तिपीठ यात्रा या कथा श्रवण की सलाह देते हैं।जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें देवी से संबंधित मंत्र और शक्तिपीठों की कथा सुननी चाहिए।
आध्यात्मिक और सामाजिक लाभ
शक्तिपीठों की यात्रा और कथाएं हमें संस्कृति और विरासत से जोड़ती हैं।
समाज में सद्भाव, आस्था और नैतिक मूल्यों की भावना को मजबूत करती हैं।
महिला शक्ति की आराधना के रूप में ये पीठ नारी सशक्तिकरण का प्रतीक भी हैं।
मां सती के 51 शक्तिपीठ केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र हैं। इनकी कथा सुनना, इनका स्मरण करना या यात्रा करना जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। यदि आप किसी जीवन संकट, मानसिक तनाव या आध्यात्मिक भ्रम से गुजर रहे हैं, तो श्रद्धा और भक्ति के साथ शक्तिपीठों की कथा का श्रवण कीजिए — देवी स्वयं मार्गदर्शन करेंगी।
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