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आज हम आपको स्वर्गरोहिणी के बारे में बताएँगे। इसे स्वर्ग का मार्ग कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों और महाभारत में भी इसकी चर्चा है।
स्वर्गरोहिणी हिमालय की एक ऊँची चोटी पर स्थित है। इसका एक रहस्यमय और अनोखा इतिहास है। ये सीढ़ी उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा में स्थित है और पांडव इसी सीढ़ी से स्वर्ग गए थे। हिंदू मान्यता के अनुसार, स्वर्गरोहिणी के शिखर से स्वर्ग पहुँचा जा सकता है।
खास बात यह है कि ये सीढ़ियाँ आज भी मौजूद हैं। यह स्थान अब एक लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल बन गया है और इसे भारत का पहला गाँव भी कहा जाता है।
महाभारत के अनुसार, "महाप्रस्थानिक पर्व", जो महाभारत के 18 ग्रंथों में से एक है, पांडवों की अंतिम यात्रा का वर्णन करता है।
कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद, पांडवों ने कुछ समय तक शासन किया, लेकिन बाद में उन्होंने राज्य अपने पोते परीक्षित को सौंप दिया और हिमालय की यात्रा पर निकल पड़े। इस कठिन यात्रा के दौरान, द्रौपदी और चारों पांडव एक-एक करके रास्ते में ही वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं।
महाभारत के अनुसार, धर्मराज युधिष्ठिर अकेले ही स्वर्ग के द्वार तक पहुँचे थे। उनके साथ एक कुत्ता भी था, जो उनके साथ स्वर्ग पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ता था। हालाँकि, इस विषय पर अलग-अलग मत हैं।
आज स्वर्गरोहिणी मार्ग ट्रैकिंग के लिए जाना जाता है। यह मार्ग बेहद लोकप्रिय हो गया है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटक यहाँ आकर्षित होते हैं।
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