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आदित्य हृदय स्तोत्र: सफलता और शत्रुओं से मुक्ति का चमत्कारी उपाय

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आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व


ज्योतिष: हर व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति की कामना करता है, लेकिन कई बार प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिलती। ऐसे में ज्योतिष उपायों की चर्चा होती है। आज हम आपको एक ऐसा उपाय बताने जा रहे हैं, जो न केवल आपको अप्रत्याशित लाभ देगा, बल्कि आपकी उन्नति में भी सहायक होगा।


कहा जाता है कि इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के शत्रुओं से मुक्त हो जाता है और चमत्कारी सफलता प्राप्त करता है।


वाल्मीकि रामायण के अनुसार, 'आदित्य हृदय स्तोत्र' को भगवान श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए अगस्त्य ऋषि ने दिया था। इसका नियमित पाठ जीवन के अनेक कष्टों का समाधान करता है।


इस स्तोत्र का पाठ मानसिक तनाव, हृदय रोग, शत्रु कष्ट और असफलताओं पर विजय पाने में मदद करता है। इसमें सूर्य देव की उपासना की जाती है, जिससे व्यक्ति को विजयी मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। यह स्तोत्र सभी प्रकार के पापों और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला है।


विशेष रूप से मकर संक्रांति के दिन सूर्य पूजा करते समय इसका पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।


आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ:


युद्ध में खड़ा राम, रावण को देखकर थक गया था। देवताओं ने युद्ध देखने के लिए एकत्रित हुए। तब भगवान अगस्त्य ने राम से कहा, 'हे राम, कृपया मेरी बात सुनो। इस स्तोत्र के माध्यम से तुम सभी दुश्मनों पर विजय प्राप्त करोगे।'


सूर्य का हृदय पवित्र है और यह सभी दुश्मनों को नष्ट कर देता है। यह चिंता और दुःख से राहत देता है और जीवन की आयु बढ़ाता है।


सूर्य देवता सभी देवताओं का स्रोत हैं और वे सभी पापों को नष्ट करते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से आप हर क्षेत्र में चमत्कारी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।


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