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अक्षय तृतीया 2025: कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा से बढ़ाएं धन-संपत्ति

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अक्षय तृतीया 2025: धन की देवी और कुबेर देव का महत्व

अक्षय तृतीया 2025: कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा से बढ़ाएं धन-संपत्ति: 30 अप्रैल 2025 को हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व, अक्षय तृतीया, धूमधाम से मनाया जाएगा। इसे अखा तीज भी कहा जाता है और इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए कार्य और निवेश कभी नष्ट नहीं होते, बल्कि साल भर समृद्धि लाते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है, जो घर में धन और वैभव को स्थिर रखते हैं। आइए, अक्षय तृतीया के महत्व और कुबेर देव के साथ इसके गहरे संबंध को समझते हैं।


कुबेर देव: धन के संरक्षक

हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है, जो धन का आगमन कराती हैं, लेकिन उनका स्वभाव चंचल है। दूसरी ओर, कुबेर देव को धन के संचय और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर स्वर्ग के खजाने के रक्षक और देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। अक्षय तृतीया पर उनकी पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती और संपदा स्थिर रहती है। कुबेर देव की कृपा से न केवल धन प्राप्त होता है, बल्कि उसका सही प्रबंधन भी सुनिश्चित होता है। इसीलिए इस पर्व पर लोग सोना, चांदी, और अन्य कीमती वस्तुएं खरीदकर कुबेर और लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं।


अक्षय तृतीया और कुबेर का पौराणिक संबंध

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान शिव ने कुबेर को यक्षों के राज्य अलकापुरी का शासक नियुक्त किया था। कुबेर ने वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप शिव ने उन्हें धनपति का आशीर्वाद दिया और स्वर्ग के खजाने की जिम्मेदारी सौंपी। इसीलिए अक्षय तृतीया को कुबेर के उदय का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कुबेर और मां लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करने से धन लाभ, संपदा संचय, और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है। यह दिन निवेश, खरीदारी, और पूजा-पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।


दान-पुण्य का विशेष महत्व

अक्षय तृतीया पर दान-पुण्य का भी खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और धन-संपदा में कमी नहीं होने देता। लोग अनाज, वस्त्र, जल, और धन का दान करते हैं, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है और कुबेर देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना भी शुभ माना जाता है। दान के साथ-साथ सोना-चांदी की खरीदारी और नई शुरुआत, जैसे व्यवसाय या गृह प्रवेश, इस दिन विशेष फलदायी होती हैं।


कैसे करें कुबेर और लक्ष्मी की पूजा?

अक्षय तृतीया पर सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। कुबेर यंत्र या मूर्ति को उत्तर दिशा में स्थापित करें, क्योंकि यह कुबेर की दिशा है। मां लक्ष्मी और कुबेर की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाएं, फूल, चंदन, और कुमकुम अर्पित करें। धन-संपदा की कामना के साथ मंत्र जाप करें, जैसे “ॐ कुबेराय नमः” और “ॐ श्री लक्ष्मी नमः”। पूजा के बाद दान करें और परिवार के साथ सकारात्मकता के साथ दिन बिताएं। इस दिन सोना-चांदी खरीदना या तिजोरी में रखना भी शुभ माना जाता है।


धन और वैभव का सुनहरा अवसर

अक्षय तृतीया 2025 (Akshaya Tritiya 2025) धन, समृद्धि, और सकारात्मकता का पर्व है। इस दिन कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा, दान-पुण्य, और सोना-चांदी की खरीदारी आपके घर में स्थायी धन-संपत्ति ला सकती है। कुबेर के आशीर्वाद से धन का संचय और प्रबंधन सुनिश्चित करें। इस पावन अवसर का लाभ उठाएं और अपने जीवन को वैभव से भरें। इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें, ताकि वे भी अक्षय तृतीया का महत्व समझ सकें।


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