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राफेल-एम बनाम राफेल: राफेल मरीन और राफेल एयर फोर्स में क्या अंतर है?

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भारतीय वायुसेना का राफेल और नौसेना का राफेल-एम एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं? वे कौन सी विशेषताएँ हैं जो इन दोनों को एक दूसरे से अलग करती हैं? अपनी शक्ति, डिजाइन और मिशन के संदर्भ में वे कितने भिन्न हैं? ये अंतर राफेल को भारतीय नौसेना की समुद्री रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बना देंगे, जिससे हिंद महासागर में भारत की ताकत और मजबूत होगी। यह दुश्मनों के लिए सबक साबित हो सकता है।

 

लैंडिंग गियर और एयरफ्रेम

राफेल मरीन और वायु सेना राफेल के बीच मुख्य अंतर उनके परिचालन वातावरण और मिशन प्रोफ़ाइल में है। राफेल-एम को विशेष रूप से विमान वाहक पोतों पर नौसैनिक युद्ध के लिए डिज़ाइन किया गया है। जबकि वायु सेना का राफेल जमीन से संचालित होता है और हवाई और रणनीतिक मिशनों पर ध्यान केंद्रित करता है।

राफेल मरीन:

राफेल-एम में विमान वाहक के सीमित डेक पर उड़ान भरने और उतरने के लिए मजबूत और विशेष रूप से डिजाइन किया गया लैंडिंग गियर है। इसके एयरफ्रेम को नमक और आर्द्रता जैसी समुद्री परिस्थितियों का सामना करने के लिए भी संशोधित किया गया है।

राफेल बनाम राफेल एम की विशिष्टताएं

वायु सेना राफेल: वायु सेना राफेल में सामान्य रनवे संचालन के लिए हल्का लैंडिंग गियर और एयरफ्रेम है, जो समुद्री संचालन के लिए उपयुक्त नहीं है।

फोल्डिंग पंख

राफेल मरीन: विमान वाहक पोतों पर सीमित स्थान को ध्यान में रखते हुए, राफेल-एम फोल्डिंग पंखों के साथ आता है। इससे जेट विमानों को आसानी से डेक पर संग्रहीत किया जा सकता है।

राफेल: वायुसेना के राफेल में पंखों को मोड़ने की सुविधा नहीं है क्योंकि यह ऐसे हवाई अड्डों पर उड़ान भरता है जहां जगह की कमी नहीं होती।

वज़न

राफेल मरीन: राफेल-एम का वजन वायुसेना के राफेल से थोड़ा अधिक है, क्योंकि इसमें समुद्री संचालन के लिए अतिरिक्त संशोधन शामिल हैं, जैसे मजबूत लैंडिंग गियर और संक्षारण प्रतिरोधी कोटिंग।

राफेल बनाम राफेल एम की विशिष्टताएं

राफेल: इसका वजन कम है। क्योंकि इसे समुद्री परिचालन की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है।

लघु उड़ान और लैंडिंग

राफेल मरीन: राफेल-एम को छोटी उड़ान और लैंडिंग क्षमताओं के साथ बढ़ाया गया है ताकि यह विमान वाहक के छोटे डेक पर आसानी से काम कर सके। इसमें कैटापुल्ट-सहायता प्राप्त टेकऑफ़ और अरेस्टर हुक प्रणालियां भी हैं।

राफेल: इसे सामान्य रनवे पर परिचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए इसमें कैटापुल्ट या अरेस्टर हुक जैसी प्रणालियाँ नहीं हैं।

मिशन प्रोफ़ाइल

राफेल मरीन: यह विशेष रूप से नौसैनिक युद्ध के लिए उपयुक्त है। इसे जहाज-रोधी युद्ध, समुद्री निगरानी और समुद्र में लंबी दूरी के हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक्सोसेट जैसी जहाज-रोधी मिसाइलों का प्रयोग भी शामिल है।

राफेल: इसे मुख्य रूप से हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमला करने वाले मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसे दुश्मन के ठिकानों पर हमला, हवाई रक्षा और रणनीतिक बमबारी।

राफेल बनाम राफेल एम की विशिष्टताएं

जंग रोधन

राफेल मरीन: राफेल-एम समुद्री वातावरण में नमक और नमी के कारण होने वाले क्षरण से बचाने के लिए विशेष कोटिंग्स और सामग्रियों का उपयोग करता है।

राफेल: इसे विशेष कोटिंग की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह मुख्य रूप से भूमि आधारित एयरबेस से संचालित होता है।

हथियार और सेंसर विन्यास

राफेल मरीन: इसमें समुद्री मिशनों के लिए विशेष हथियार, जैसे एक्सोसेट मिसाइलें, और समुद्री निगरानी के लिए सेंसर शामिल हैं।

राफेल: यह मेटियोर, स्कैल्प और अन्य हवा से हवा या हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों को दागने के लिए तैयार किया गया है, जो सामान्य युद्ध स्थितियों के लिए उपयुक्त है।

रखरखाव और रसद

राफेल मरीन: भारतीय वायु सेना पहले से ही राफेल का संचालन कर रही है, इसलिए राफेल-एम के लिए रसद और रखरखाव में कुछ समानताएं होंगी। हालाँकि, समुद्री परिचालन के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण और सुविधाओं की आवश्यकता होगी।

राफेल: इसका रखरखाव स्थापित हवाई अड्डे पर पहले से मौजूद बुनियादी ढांचे के आधार पर किया जाता है।

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