काबुल: तालिबान और पाकिस्तान के बीच तुर्की में चल रही बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने अपने ताजा बयान में खुलासा किया है कि पाकिस्तान चाहता था कि सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अफगानिस्तान की सरकार पर डाल दी जाए और कोई भी जिम्मेदारी खुद न ली जाए। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के इस गैरजिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से बातचीत बेनतीजा रही है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी गुट को किसी दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करने देगा। साथ ही अपनी जमीन की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इससे पहले पाकिस्तान के बड़बोले रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि अगर टीटीपी का हमला होता है तो अफगानिस्तान में कार्रवाई करके इसका जवाब दिया जाएगा। इस बीच तालिबान के उप गृहमंत्री मोहम्मद नाबी उमरी ने पाकिस्तान को 'ग्रेटर अफगानिस्तान' वाली धमकी दे दी है।
उमरी ने कहा कि वर्तमान हालात इस बात का इशारा कर रहे हैं कि डूरंड लाइन के आगे जिन इलाकों को अफगानिस्तान ने खो दिया था, उसे वापस लेकर अफगान क्षेत्र में मिलाने का समय आ गया है। उमरी ने खोश्त प्रांत में एक कार्यक्रम में पाकिस्तानी इलाकों पर कब्जे की यह खुली धमकी दी। अफगानिस्तान की सरकार अंग्रेजों की खींची हुई डूरंड लाइन को नहीं मानती है। उसका मानना है कि पेशावर से लगा एक बड़ा इलाका अफगानिस्तान का हिस्सा है। उमरी ने कहा, 'जितना अधिक हम विश्लेषण करते हैं, जितना अधिक हम चिंतन करते हैं, ऐसा लगता है कि अफगानिस्तान की ऐतिहासिक जो अभी उनके पास (पाकिस्तान) और कथित सीमा रेखा जो हम पर खींची गई, अल्लाह उसे फिर से हमारी जमीन में मिलाने का समय बना सकता है।'
तालिबान के ग्रेटर अफगानिस्तान में क्या- क्या ?
तालिबानी उप गृहमंत्री ने कहा कि पाकिस्तानी सेना अकेले काम नहीं करती है, बल्कि वह यह डोनाल्ड ट्रंप के दिशा निर्देश पर कर रही है। उन्होंने कहा कि टीटीपी को न तो हमने पैदा किया है और न ही हम सपोर्ट करते हैं। उमरी ने खुलासा किया कि दो साल पहले टीटीपी की मांगों को पाकिस्तानी सेना के साथ साझा किया गया था और इस्लामाबाद ने इसे स्वीकार भी किया था। उनका इशारा इमरान खान सरकार की ओर था। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के कुछ पश्तून नेता जैसे मोहसिन दावर इसलिए समझौते का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी लोकप्रियता गिर सकती है।
अभी कुछ दिन पहले ही उमरी को ही 'ग्रेटर अफगानिस्तान' का नक्शा खोश्त में ही एक कार्यक्रम में सौंपा गया था। इसमें डूरंड लाइन को गायब करके पाकिस्तान के कुछ हिस्से को अफगानिस्तान में दिखाया गया था। इस कार्यक्रम में उमरी ने चेतावनी दी थी कि अगर अफगानिस्तान पर एक और युद्ध को थोपा गया तो तालिबान इसका ठीक उसी तरह से जवाब देगा जैसे उसने सोवियत संघ और अमेरिका को दिया था। तालिबान पाकिस्तान के जिन इलाकों को ग्रेटर अफगानिस्तान में शामिल करना चाहता है, उनमें खैबर पख्तनूख्वा, गिलगित बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान के कई इलाके शामिल हैं। ग्रेटर अफगानिस्तान या पश्तूनिश्तान की संकल्पना लंबे समय से विवादों का विषय रही है। अफगानिस्तान ने डूरंड लाइन को कभी भी असली सीमा रेखा नहीं माना है।
उमरी ने कहा कि वर्तमान हालात इस बात का इशारा कर रहे हैं कि डूरंड लाइन के आगे जिन इलाकों को अफगानिस्तान ने खो दिया था, उसे वापस लेकर अफगान क्षेत्र में मिलाने का समय आ गया है। उमरी ने खोश्त प्रांत में एक कार्यक्रम में पाकिस्तानी इलाकों पर कब्जे की यह खुली धमकी दी। अफगानिस्तान की सरकार अंग्रेजों की खींची हुई डूरंड लाइन को नहीं मानती है। उसका मानना है कि पेशावर से लगा एक बड़ा इलाका अफगानिस्तान का हिस्सा है। उमरी ने कहा, 'जितना अधिक हम विश्लेषण करते हैं, जितना अधिक हम चिंतन करते हैं, ऐसा लगता है कि अफगानिस्तान की ऐतिहासिक जो अभी उनके पास (पाकिस्तान) और कथित सीमा रेखा जो हम पर खींची गई, अल्लाह उसे फिर से हमारी जमीन में मिलाने का समय बना सकता है।'
तालिबान के ग्रेटर अफगानिस्तान में क्या- क्या ?
तालिबानी उप गृहमंत्री ने कहा कि पाकिस्तानी सेना अकेले काम नहीं करती है, बल्कि वह यह डोनाल्ड ट्रंप के दिशा निर्देश पर कर रही है। उन्होंने कहा कि टीटीपी को न तो हमने पैदा किया है और न ही हम सपोर्ट करते हैं। उमरी ने खुलासा किया कि दो साल पहले टीटीपी की मांगों को पाकिस्तानी सेना के साथ साझा किया गया था और इस्लामाबाद ने इसे स्वीकार भी किया था। उनका इशारा इमरान खान सरकार की ओर था। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के कुछ पश्तून नेता जैसे मोहसिन दावर इसलिए समझौते का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी लोकप्रियता गिर सकती है।
अभी कुछ दिन पहले ही उमरी को ही 'ग्रेटर अफगानिस्तान' का नक्शा खोश्त में ही एक कार्यक्रम में सौंपा गया था। इसमें डूरंड लाइन को गायब करके पाकिस्तान के कुछ हिस्से को अफगानिस्तान में दिखाया गया था। इस कार्यक्रम में उमरी ने चेतावनी दी थी कि अगर अफगानिस्तान पर एक और युद्ध को थोपा गया तो तालिबान इसका ठीक उसी तरह से जवाब देगा जैसे उसने सोवियत संघ और अमेरिका को दिया था। तालिबान पाकिस्तान के जिन इलाकों को ग्रेटर अफगानिस्तान में शामिल करना चाहता है, उनमें खैबर पख्तनूख्वा, गिलगित बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान के कई इलाके शामिल हैं। ग्रेटर अफगानिस्तान या पश्तूनिश्तान की संकल्पना लंबे समय से विवादों का विषय रही है। अफगानिस्तान ने डूरंड लाइन को कभी भी असली सीमा रेखा नहीं माना है।
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