इस्लामबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर इजरायल को लेकर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान गाजा में शांति व्यवस्था की अमेरिकी पहल के तहत अपने 20000 सैनिकों की तैनाती करने जा रहा है। इसके लिए जनरल असीम मुनीर की अमेरिकी खुफिया एजेसी सीआईए और इजरायल की मोसाद के चीफ के साथ गुप्त बैठक भी हो चुकी है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ इसे बड़े कूटनीतिक दांव की तरह देख रहे हैं, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इसके पीछे एक ऐसा चक्रव्यूह छिपा है, जिसके चलते यह पाकिस्तान और इजरायल दोनों के लिए विस्फोटक हो सकता है।   
   
पाकिस्तान के लिए यह खतरा उसके घर से ही शुरू होता है, जो आगे बढ़कर इस्लामिक दुनिया में उसकी साख को मटियामेट कर सकता है। दशकों से पाकिस्तानी सेना ने कट्टरपंथियों को पाला-पोसा है, जिसके चलते देश में फिलिस्तीनी आंदोलन को लेकर प्रबल भावना है तो इजरायल को लेकर उतनी ही गहरी नफरत है। जनरल मुनीर पाकिस्तानी सेना को इस्लामी हितों के संरक्षक के रूप में पेश करते हैं। ऐसे में उसे इजरायल के साथ गठबंधन करने वाली ताकत के रूप में देखा गया तो स्थितियां विस्फोटक हो सकती हैं।
     
   
पाकिस्तान के अंदर ही खतरा
पाकिस्तानी सेना का यह कदम देश में मौजूद इस्लामिक गुटों को भड़का सकता है, जो अंततः राजनीतिक अराजकता को न्योता देगा। इसके साथ ही गाजा में शांति सेना की तैनाती एक खतरनाक फैसला है। शांति मिशन सहमति और विश्वसनीय तटस्थता पर निर्भर करते हैं। गाजा में ऐसा कुछ भी नहीं है। पाकिस्तानी सैनिकों पर वही लोग हमला कर सकते हैं, जिनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उन पर है। या फिर इससे भी बदतर स्थिति हो सकती है, जिसमें वे इजरायली बलों से टकराव में फंस सकते हैं।
   
   
मुस्लिम दुनिया में पाकिस्तान बनेगा धोखेबाज!
रणनीतिक रूप से पाकिस्तान का यह फैसला इस्लामिक दुनिया में उसके संबंधों के लिए भी खतरा बन सकता है। ईरान, तुर्की और कतर जैसे हमास के कट्टर समर्थक मुस्लिम देश पाकिस्तान के फैसले को इस्लामिक दुनिया से धोखे की तरह देखेंगे। उनकी नजर में पाकिस्तान छोटे आर्थिक या राजनीतिक लाभ के लिए पश्चिमी और इजरायल के हाथों में खेल रहा है। ऐसी सोच पाकिस्तान को मुस्लिम दुनिया में अलग-थलग कर सकती है, जिसका वह नेतृत्व करने का सपना देखता है।
   
   
इजरायल के लिए खतरा
इजरायल के लिए इसके खतरे अलग हैं, लेकिन बहुत गंभीर भी हैं। गाजा में पाकिस्तानी सैनिकों को आमंत्रित करना उसकी आंतरिक राजनीतिक सहमति और सुरक्षा सिद्धांत के लिए चुनौती होगा। इजरायल ने उन देशों की किसी भी सैन्य भागीदारी से दूरी बनाए रखी है, जो उसकी वैधता को नकारते हैं। इसलिए पाकिस्तानी सेना की उपस्थिति घरेलू स्तर पर प्रतिक्रिया का कारण बन सकती है। इजरायली दक्षिणपंथी इसे संप्रभुता और सुरक्षा के साथ समझौता मानेंगे। ऐसे में कोई भी घटना- जैसे आकस्मिक झड़प, खुफिया जानकारी लीक होना या पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला- कूटनीतिक संकट खड़ा कर सकती है।
  
पाकिस्तान के लिए यह खतरा उसके घर से ही शुरू होता है, जो आगे बढ़कर इस्लामिक दुनिया में उसकी साख को मटियामेट कर सकता है। दशकों से पाकिस्तानी सेना ने कट्टरपंथियों को पाला-पोसा है, जिसके चलते देश में फिलिस्तीनी आंदोलन को लेकर प्रबल भावना है तो इजरायल को लेकर उतनी ही गहरी नफरत है। जनरल मुनीर पाकिस्तानी सेना को इस्लामी हितों के संरक्षक के रूप में पेश करते हैं। ऐसे में उसे इजरायल के साथ गठबंधन करने वाली ताकत के रूप में देखा गया तो स्थितियां विस्फोटक हो सकती हैं।
पाकिस्तान के अंदर ही खतरा
पाकिस्तानी सेना का यह कदम देश में मौजूद इस्लामिक गुटों को भड़का सकता है, जो अंततः राजनीतिक अराजकता को न्योता देगा। इसके साथ ही गाजा में शांति सेना की तैनाती एक खतरनाक फैसला है। शांति मिशन सहमति और विश्वसनीय तटस्थता पर निर्भर करते हैं। गाजा में ऐसा कुछ भी नहीं है। पाकिस्तानी सैनिकों पर वही लोग हमला कर सकते हैं, जिनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उन पर है। या फिर इससे भी बदतर स्थिति हो सकती है, जिसमें वे इजरायली बलों से टकराव में फंस सकते हैं।
मुस्लिम दुनिया में पाकिस्तान बनेगा धोखेबाज!
रणनीतिक रूप से पाकिस्तान का यह फैसला इस्लामिक दुनिया में उसके संबंधों के लिए भी खतरा बन सकता है। ईरान, तुर्की और कतर जैसे हमास के कट्टर समर्थक मुस्लिम देश पाकिस्तान के फैसले को इस्लामिक दुनिया से धोखे की तरह देखेंगे। उनकी नजर में पाकिस्तान छोटे आर्थिक या राजनीतिक लाभ के लिए पश्चिमी और इजरायल के हाथों में खेल रहा है। ऐसी सोच पाकिस्तान को मुस्लिम दुनिया में अलग-थलग कर सकती है, जिसका वह नेतृत्व करने का सपना देखता है।
इजरायल के लिए खतरा
इजरायल के लिए इसके खतरे अलग हैं, लेकिन बहुत गंभीर भी हैं। गाजा में पाकिस्तानी सैनिकों को आमंत्रित करना उसकी आंतरिक राजनीतिक सहमति और सुरक्षा सिद्धांत के लिए चुनौती होगा। इजरायल ने उन देशों की किसी भी सैन्य भागीदारी से दूरी बनाए रखी है, जो उसकी वैधता को नकारते हैं। इसलिए पाकिस्तानी सेना की उपस्थिति घरेलू स्तर पर प्रतिक्रिया का कारण बन सकती है। इजरायली दक्षिणपंथी इसे संप्रभुता और सुरक्षा के साथ समझौता मानेंगे। ऐसे में कोई भी घटना- जैसे आकस्मिक झड़प, खुफिया जानकारी लीक होना या पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला- कूटनीतिक संकट खड़ा कर सकती है।
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