दुबई/बीजिंग: चीन लड़ाकू विमानों की दुनिया में धीरे धीरे मजबूती से अपने पांव जमा रहा है। जे-10सी और जेएफ-17 जैसे लड़ाकू विमानों की तरफ दुनिया के कई देश आकर्षित हो रहे हैं। जे-10सी वही विमान है, जिसे पाकिस्तान ने भारतीय राफेल के खिलाफ उतारा था। लेकिन अब, बीजिंग अपने वाणिज्यिक विमानों को आगे बढ़ा रहा है, जिसने बोइंग और एयरबस की नींद उड़ा दी है। बीजिंग की सरकारी कंपनी कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉर्पेरेशन ऑफ चायना (COMAC) नवंबर 2025 के दुबई एयर शो में अपने दो नागरिक विमानों C909 और C919 को उतारने जा रही है। ये दोनों विमान चीन में पहले से सेवा में हैं, लेकिन इस बार बीजिंग का लक्ष्य उन्हें मिडिल ईस्ट के मार्केट में उतारना है।
इससे पहले भी चीन ने मध्य पूर्व में अपनी हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया है और वो मिडिल ईस्ट के देशों को अपने हथियारों को बेचने की कोशिश कर रहा है। चीन ने नवंबर 2023 में दुबई एयर शो में अपने J-10C का अनावरण किया था। इसके अलावा, FC-31 स्टील्थ लड़ाकू विमान, Y-20 सामरिक परिवहन विमान, Z-20 सामरिक उपयोगिता हेलीकॉप्टर और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) भी प्रदर्शित किए, जिनमें AR-36 वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग ड्रोन और विंग लूंग-X और विंग लूंग-2 फिक्स्ड-विंग ड्रोन शामिल हैं।
मिडिल ईस्ट में 'मेक इन चाइना' की उड़ान
आपको बता दें कि COMAC का C909, जिसे पहले ARJ21 के नाम से जाना जाता था, वो चीन का पहला स्वदेशी विकसित रीजनल जेट है। वहीं C919 को Boeing 737 MAX और Airbus A320neo का सीधा प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। दोनों विमान चीन के एविएशन सेक्टर में आत्मनिर्भरता मिशन का प्रतीक हैं। COMAC को चीन के विशाल घरेलू बाजार, सस्ती फाइनेंसिंग और सरकारी समर्थन का लाभ मिल रहा है। 2025 में कंपनी 25 C919 विमानों की डिलीवरी करने की योजना बना चुकी है, जिसे आने वाले वर्षों में 75 तक बढ़ाने का लक्ष्य है। हालांकि, यह रास्ता आसान नहीं है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियों द्वारा इंजन सप्लाई में रोक और पश्चिमी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता अभी भी इसके लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
चीन की Boeing-Airbus को टक्कर देने की तैयारी
चीन के इस कदम से वैश्विक विमानन बाजार में तीसरे बड़े खिलाड़ी के रूप में उभरने की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। COMAC के C909 और C919 को पहले ही ब्रुनेई की GallopAir, वियतनाम की VietJet और इंडोनेशिया की TransNusa जैसी एयरलाइंस से शुरुआती ऑर्डर मिल चुके हैं। हाल ही में AirAsia ने भी C919 को लेकर बातचीत के एडवांस लेवल पर पहुंचने की पुष्टि की है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर COMAC अपनी डिलीवरी, क्वालिटी और इंजन आपूर्ति स्थिर रखता है, तो यह विकासशील देशों और कम कीमत वाले विमानों की श्रेणी में शानदार प्रदर्शन कर सकता है।
मिडिल ईस्ट पहले से ही चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशियएटिव (BRI) के लिहाज से काफी अहम केंद्र है। 2025 की पहली छमाही में बीजिंग ने इस क्षेत्र में 19.4 अरब डॉलर का निवेश किया है। अब वही आर्थिक जुड़ाव हवाई सौदों में बदलने की कोशिश चीन कर रहा है। चीन का लक्ष्य सिर्फ विमान बेचना नहीं, बल्कि एक नया एविएशन इकोसिस्टम बनाना है, जो पश्चिमी देशों की विमान कंपनियों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
इससे पहले भी चीन ने मध्य पूर्व में अपनी हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया है और वो मिडिल ईस्ट के देशों को अपने हथियारों को बेचने की कोशिश कर रहा है। चीन ने नवंबर 2023 में दुबई एयर शो में अपने J-10C का अनावरण किया था। इसके अलावा, FC-31 स्टील्थ लड़ाकू विमान, Y-20 सामरिक परिवहन विमान, Z-20 सामरिक उपयोगिता हेलीकॉप्टर और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) भी प्रदर्शित किए, जिनमें AR-36 वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग ड्रोन और विंग लूंग-X और विंग लूंग-2 फिक्स्ड-विंग ड्रोन शामिल हैं।
मिडिल ईस्ट में 'मेक इन चाइना' की उड़ान
आपको बता दें कि COMAC का C909, जिसे पहले ARJ21 के नाम से जाना जाता था, वो चीन का पहला स्वदेशी विकसित रीजनल जेट है। वहीं C919 को Boeing 737 MAX और Airbus A320neo का सीधा प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। दोनों विमान चीन के एविएशन सेक्टर में आत्मनिर्भरता मिशन का प्रतीक हैं। COMAC को चीन के विशाल घरेलू बाजार, सस्ती फाइनेंसिंग और सरकारी समर्थन का लाभ मिल रहा है। 2025 में कंपनी 25 C919 विमानों की डिलीवरी करने की योजना बना चुकी है, जिसे आने वाले वर्षों में 75 तक बढ़ाने का लक्ष्य है। हालांकि, यह रास्ता आसान नहीं है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियों द्वारा इंजन सप्लाई में रोक और पश्चिमी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता अभी भी इसके लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
चीन की Boeing-Airbus को टक्कर देने की तैयारी
चीन के इस कदम से वैश्विक विमानन बाजार में तीसरे बड़े खिलाड़ी के रूप में उभरने की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। COMAC के C909 और C919 को पहले ही ब्रुनेई की GallopAir, वियतनाम की VietJet और इंडोनेशिया की TransNusa जैसी एयरलाइंस से शुरुआती ऑर्डर मिल चुके हैं। हाल ही में AirAsia ने भी C919 को लेकर बातचीत के एडवांस लेवल पर पहुंचने की पुष्टि की है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर COMAC अपनी डिलीवरी, क्वालिटी और इंजन आपूर्ति स्थिर रखता है, तो यह विकासशील देशों और कम कीमत वाले विमानों की श्रेणी में शानदार प्रदर्शन कर सकता है।
मिडिल ईस्ट पहले से ही चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशियएटिव (BRI) के लिहाज से काफी अहम केंद्र है। 2025 की पहली छमाही में बीजिंग ने इस क्षेत्र में 19.4 अरब डॉलर का निवेश किया है। अब वही आर्थिक जुड़ाव हवाई सौदों में बदलने की कोशिश चीन कर रहा है। चीन का लक्ष्य सिर्फ विमान बेचना नहीं, बल्कि एक नया एविएशन इकोसिस्टम बनाना है, जो पश्चिमी देशों की विमान कंपनियों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
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