वॉशिंगटन: भारतीय सेना को तीन अपाचे हेलीकॉप्टर की डिलीवरी देने निकला विमान ब्रिटेन में करीब एक हफ्ते कर रहने के बाद वापस अमेरिका लौट गया है। तीन AH-64E अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी अचानक से टल गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, एंटोनोव एयरलाइंस का एएन-124 मालवाहक विमान, यूनाइटेड किंगडम में लंबे समय तक रुकने के बाद, अपाचे हेलीकॉप्टरों के साथ ही अमेरिका लौट आया। यह घटना 30 अक्टूबर से 8 नवंबर के बीच की है। विमान को पहले एरिजोना के मेसा गेटवे एयरपोर्ट से उड़ान भरनी थी और सीधा भारत पहुंचना था, लेकिन वह पहले इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड्स एयरपोर्ट गया, जहां कई दिन रुकने के बाद वो वापस अमेरिका चला गया।
द वॉर जोन (twz) की रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी बोइंग के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि कंपनी उन "लॉजिस्टिक समस्याओं" पर विचार कर रही है जिनके कारण परिवहन में बाधा आई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई लॉजिस्टिक दिक्कतों की वजह से हेलॉकॉप्टरों की डिलीवरी नहीं हो पाई?
लॉजिस्टिक दिक्कत या पर्दे के पीछे कुछ और?
द वॉर जोन की रिपोर्ट के मुताबिक, विमानों की गतिविधियों पर नजर रखने वाले KiwaSpotter के मुताबिक भारी-भरकम An-124 सीरियल UR-82008 विमान 30 अक्टूबर को जर्मनी के लीपज़िग स्थित अपने संचालन केंद्र से उड़ान भरकर एरिजोना के मेसा गेटवे हवाई अड्डे, जिसे फीनिक्स-मेसा हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है, पर पहुंचा। मेसा स्थित बोइंग के नजदीकी संयंत्र से ले जाए जाने के बाद, अपाचे हेलीकॉप्टरों को एएन-124 विमान पर लादा गया, जो 1 नवंबर को अमेरिका से रवाना होकर इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड्स हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी। लादते समय, हेलीकॉप्टरों को पहले से ही भारतीय सेना के विशिष्ट रेगिस्तान रंग के छलावरण में रंगा गया था। तस्वीरों में कम से कम एक अपाचे हेलीकॉप्टर की पहचान IA-7105 के रूप में की गई है।
एएन-124 विमान और उसके रखा गया अपाचे हेलीकॉप्टर ब्रिटिश हवाई अड्डे पर आठ दिनों तक जमीन पर ही रहा, उसके बाद विमान रवाना हुआ। लेकिन यह विमान भारत की ओर नहीं गया, बल्कि अटलांटिक महासागर के रास्ते अपने मूल प्रस्थान बिंदु मेसा गेटवे हवाई अड्डे पर लौट गया, जहां 8 नवंबर को विमान उतरा। अपाचे विमानों को बाद में उतारते हुए देखा गया, अब वे टो के नीचे थे और उनके रोटर हटा दिए गए थे। भारतीय सेना को इस साल जुलाई में अपने पहले तीन AH-64E विमान मिल चुके हैं, जो फरवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई दिल्ली यात्रा के दौरान किए गये 796 मिलियन डॉलर के छह विमानों के सौदे का हिस्सा हैं।
बोइंग कंपनी ने क्या कहा है?
अपाचे हेलीकॉप्टर बनाने वाली बोइंग कंपनी ने कहा है कि 'बाहरी दिक्कतों की वजह से लॉजिस्टिक दिक्कतें हुई हैं, जिससे डिलीवरी में दिक्कतें आ गईं।' कंपनी के अनुसार वे अमेरिकी सरकार और भारतीय सेना के साथ मिलकर जल्द से जल्द डिलीवरी पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि समस्या तकनीकी, कस्टम्स से जुड़ी, या फिर राजनयिक स्तर की अड़चन थी। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ दस्तावेज या परिवहन संबंधी बाधा हो सकती है, लेकिन यह भी संभावना जताई जा रही है कि किसी राजनीतिक कारण से डिलीवरी अस्थायी रूप से रोकी गई हो। नवभारत टाइम्स को फिलहाल असली वजह की जानकारी नहीं है।
द वॉर जोन (twz) की रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी बोइंग के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि कंपनी उन "लॉजिस्टिक समस्याओं" पर विचार कर रही है जिनके कारण परिवहन में बाधा आई थी। लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई लॉजिस्टिक दिक्कतों की वजह से हेलॉकॉप्टरों की डिलीवरी नहीं हो पाई?
Antonov An-124 UR-82008 arrived at KIWA this afternoon from Leipzig, Germany, to pick up 3 AH-64E Apaches for the Indian Army. pic.twitter.com/5PNuAYGIcx
— KIWA Spotter (@KiwaSpotter) October 30, 2025
लॉजिस्टिक दिक्कत या पर्दे के पीछे कुछ और?
द वॉर जोन की रिपोर्ट के मुताबिक, विमानों की गतिविधियों पर नजर रखने वाले KiwaSpotter के मुताबिक भारी-भरकम An-124 सीरियल UR-82008 विमान 30 अक्टूबर को जर्मनी के लीपज़िग स्थित अपने संचालन केंद्र से उड़ान भरकर एरिजोना के मेसा गेटवे हवाई अड्डे, जिसे फीनिक्स-मेसा हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है, पर पहुंचा। मेसा स्थित बोइंग के नजदीकी संयंत्र से ले जाए जाने के बाद, अपाचे हेलीकॉप्टरों को एएन-124 विमान पर लादा गया, जो 1 नवंबर को अमेरिका से रवाना होकर इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड्स हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी। लादते समय, हेलीकॉप्टरों को पहले से ही भारतीय सेना के विशिष्ट रेगिस्तान रंग के छलावरण में रंगा गया था। तस्वीरों में कम से कम एक अपाचे हेलीकॉप्टर की पहचान IA-7105 के रूप में की गई है।
एएन-124 विमान और उसके रखा गया अपाचे हेलीकॉप्टर ब्रिटिश हवाई अड्डे पर आठ दिनों तक जमीन पर ही रहा, उसके बाद विमान रवाना हुआ। लेकिन यह विमान भारत की ओर नहीं गया, बल्कि अटलांटिक महासागर के रास्ते अपने मूल प्रस्थान बिंदु मेसा गेटवे हवाई अड्डे पर लौट गया, जहां 8 नवंबर को विमान उतरा। अपाचे विमानों को बाद में उतारते हुए देखा गया, अब वे टो के नीचे थे और उनके रोटर हटा दिए गए थे। भारतीय सेना को इस साल जुलाई में अपने पहले तीन AH-64E विमान मिल चुके हैं, जो फरवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई दिल्ली यात्रा के दौरान किए गये 796 मिलियन डॉलर के छह विमानों के सौदे का हिस्सा हैं।
You can see the second of 3 being loaded into UR-82008 this past Wednesday. https://t.co/BizV2fPxSs pic.twitter.com/EE8qOdVXoZ
— TSW1 (@TheShipWatch_1) October 30, 2025
बोइंग कंपनी ने क्या कहा है?
अपाचे हेलीकॉप्टर बनाने वाली बोइंग कंपनी ने कहा है कि 'बाहरी दिक्कतों की वजह से लॉजिस्टिक दिक्कतें हुई हैं, जिससे डिलीवरी में दिक्कतें आ गईं।' कंपनी के अनुसार वे अमेरिकी सरकार और भारतीय सेना के साथ मिलकर जल्द से जल्द डिलीवरी पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि समस्या तकनीकी, कस्टम्स से जुड़ी, या फिर राजनयिक स्तर की अड़चन थी। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ दस्तावेज या परिवहन संबंधी बाधा हो सकती है, लेकिन यह भी संभावना जताई जा रही है कि किसी राजनीतिक कारण से डिलीवरी अस्थायी रूप से रोकी गई हो। नवभारत टाइम्स को फिलहाल असली वजह की जानकारी नहीं है।
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