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बेटी के लिए बोले नवाजुद्दीन सिद्दीकी- मैंने उसे अपनी चीजें थोपने की कोशिश की, आजकल बाप को कौन पूछता है?

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किरदारों को हीरो मानने वाले मंजे हुए अदाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी की संघर्ष यात्रा जितनी यूनीक रही है, उतना ही अद्भुत उनका भूमिकाओं का ग्राफ रहा है। इन दिनों वे चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म 'थामा' को लेकर, जो बॉक्स ऑफिस पर सौ करोड़ पार कर चुकी है। उनसे एक खास बातचीत।

आपने लंबे समय तक छोटे -छोटे रोल्स किए, क्या कभी ये डर लगता था कि कहीं साइड एक्टर बन कर न रह जाऊं?
सच कहूं, तो मैं जब इस इंडस्ट्री में आया था, तो ये सोच कर नहीं आया था कि मुझे यहां बड़ा एक्टर बनना है। मुझे अभिनय करना था, चाहे मैं थिएटर में करूं या स्ट्रीट प्ले करूं। मैं सोचता हूं कि अगर मुझे काम मिलना बंद हो गया, तो मैं एक थिएटर रूम बना लूंगा, बहुत मुमकिन है, आपके घर के आगे भी मैं शो करके आ जाऊं। मैं बस एक्टिंग कर लूं, इसके अलावा मैंने कुछ सोचा नहीं था। ये जितना कुछ मुझे मिला, वो मेरे लिए एक बोनस की तरह है और उसके लिए मैं ऊपरवाले और सभी का थैंक्यू सो मच कहना चाहूंगा।


आपने स्टार सिस्टम को तोड़ा और आपके लिए टेलर मेड रोल लिखे जाने लगे, क्या कहना चाहेंगे?
नवाज बोले, देखिए, मेरा मानना है कि आपके लिए कितना भी बेहतरीन रोल क्यों न लिखा जाए, अगर आपके पास क्राफ्ट और रोल की तैयारी नहीं है, तो वो रोल रोल ही रह जाएगा। एक्टर का अच्छा होना जरूरी है। हम भी अच्छा होने की कोशिश कर रहे हैं। मैं ये जानता हूं कि कोशिश से मंजिल आसान होगी। मगर मेरे हिसाब से किरदार हीरो होना चाहिए। मुझे लगता है हर कहानी को कहने का एक दौर होता है और जब वो कहानी उस किरदार के साथ कही जाए, तो उससे बेहतर और कुछ नहीं होता। मैंने हमेशा अपने चरित्रों को महत्व दिया है।

आपकी संघर्षमयी यात्रा अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा का बायस रही है, आपके लिए सबसे कठिन दौर कौन-सा था?
संघर्ष तो हर किसी की जिंदगी में होता है, मैं कोई स्पेशल नहीं हूं, मुझसे पहले भी लोगों ने बहुत कड़ा संघर्ष देखा है, मगर सबसे ज्यादा दिक्कत तब आती है, जब आपको अपनी मेहनत के मुताबिक वो चीज नहीं मिलती, जिसके आप हकदार होते हैं। आपको आपका काम पता होता है, आपने अभ्यास भी खूब किया होता है, मगर जब तक आपको उस कैलिबर का काम न मिले तो मुश्किल तो होती है। मगर आपको लगे रहना पड़ता है। मैं शुक्र अदा करता हूं कि लगातार बिना हारे लगे रहे के बाद मैं यहां तक पहुंचा। मगर लगे रहने के बाद भी कई बार मेहनत का फल नहीं मिलता और ऐसा आगे भी होगा। एक्टर के मन में एक खलिश हमेशा रहनी चाहिए। ये नहीं कि मैंने सब कुछ पा लिया, अब मैं संतुष्ट हूं। अगर खलिश रहती है उसके मन में तो बहुत सारे किरदार जीने की ख्वाहिश भी रहती है। मैं चाहता हूं, मेरे दिलो-दिमाग में वो खलिश रहे, क्योंकि अभिनय का मयार इतना बड़ा है कि कई जन्म लेने पड़ेंगे।


नवाज़ आप हमेशा से बहुत बेबाक और बिंदास रहे हैं, तो क्या कभी उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है?
हां काफी खामियाजा भुगतना पड़ा है। पहले मैं बहुत बेवकूफ था, अब मैं बहुत समझदार हो गया हूं। समझदार होकर मेरी लाइफ बदल गई। (हंसते हैं) पहले अनाप-शनाप बोल देता था, अब थोड़ा सोच -समझकर बोलता हूं।

आप खुश हैं कि आपकी बेटी आपकी फिल्म थामा देख पाई, वरना आपका कहना था कि आपके इंटेंस रोल्स के कारण आपका परिवार आपकी फिल्म नहीं देखा पाता था?
मेरा ट्रैक रिकॉर्ड काफी डार्क रहा है। ये बहुत खुशी की बात है कि मेरे बच्चों ने फाइनली मेरी फिल्म देखी। शोरा (उनकी बेटी) को पसंद आई। उसे मेरा काम बहुत पसंद आया, वैंपायर की थीम अच्छी लगी। वैसे उसे कोस्टावो में भी मेरी भूमिका अच्छी लगी थी।

आपकी बेटी शोरा कमाल का स्क्रीन प्रेजेंस रखती हैं, आपने उनके लिए क्या सोचा है?
उसके ( शोरा) बारे में मैं क्या सोचूं? वो खुद ही डिसाइड कर रही है। बाप को कौन पूछता है, आज की तारीख में? (ठहाका लगाते हैं) भाई, मैंने उसको अपनी चीजें थोपने की कोशिश की, मगर उसने ली नहीं। मैंने सोचा था कि वो किसी और क्षेत्र में जाए, लिए अभिनय को चुन लिया है। वो मेरी जरा सी भी सुनती नहीं। अब क्या करें? (हंस देते हैं जोर से)

आप एक नैशनल अवॉर्ड विनर अभिनेता हैं, पुरस्कारों को कैसे देखते हैं?
मुझे लगता है कि आपको अपने प्रोसेस से प्यार होना चाहिए। जहां तक अवॉर्ड की बात है, तो वो एक शाम होती है, जब आपको अवॉर्ड मिलता है। वो बहुत अच्छी गुजरती है, उसके बाद आपको अपनी औकात पर आना पड़ता है। आपको अगले दिन शूटिंग पर जाना पड़ता है और जीरो से शुरू करना पड़ता है।


एक समय था जब हॉरर जॉर्नर को प्रतिष्ठा की निगाह से नहीं देखा जाता था, मगर अब हॉरर-कॉमिडी के रूप में हॉरर री-डिफाइन हुआ?
पहले हॉरर के साथ थोड़ा सौतेला व्यवहार किया जाता था, लेकिन आज के समय में अच्छे-से-अच्छे एक्टर भी इस जॉनर में काम करना चाहते हैं क्योंकि ये बहुत इंटरेस्टिंग है। पहले सिर्फ डराने पर फोकस होता था, लेकिन अब इसमें कॉमेडी, रोमांस, और ड्रामा भी है। हमारी फिल्म भी एक ऐसी फिल्म है। हॉरर में पहले सिर्फ डर का इमोशन होता था, लेकिन थामा देखने के बाद मुझे लगा कि एक एक्टर के लिए इसमें एक्सप्लोर करने के बहुत मौके हैं।
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