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अमेरिका के साथी बदल रहे पाला, चीन की तरफ पलटी बाजी, ट्रंप ने ये क्या कर दिया?

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नई दिल्‍ली: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों से चीन के साथ अमेरिका का तनाव बढ़ गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के करीबी सहयोगी देश अब चीन की ओर झुक रहे हैं। वे अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित रखना चाहते हैं। अमेरिका दुनिया को चीन के बढ़ते प्रभाव का विरोध करने के लिए एकजुट करना चाहता था। लेकिन, ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ट्रंप ने दूसरे देशों पर जो टैरिफ लगाए हैं, उससे अमेरिका एक कम भरोसेमंद पार्टनर बन गया है। इसलिए कई देश चीन की ओर देख रहे हैं। वहां व्यापारिक रिश्ते ज्यादा स्थिर और भरोसेमंद हैं। ट्रंप ने कहा था कि कई देश उनसे व्यापारिक समझौते करने के लिए उनकी खुशामद कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें भारी टैक्स देना होगा। वहीं, चीन छोटे-बड़े सभी देशों के साथ समझौते करने की कोशिश कर रहा है। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने कहा, 'अमेरिका और चीन दुनिया में सबसे आगे निकलने के लिए लड़ रहे हैं। दोनों कहते हैं कि वे देशों को अपना पक्ष चुनने के लिए मजबूर नहीं करना चाहते। लेकिन, सच यह है कि दोनों ही चाहते हैं कि दूसरे देश उनके साथ आएं।' अमेरिकी कंपनियों पर पड़ रहा है असर ट्रंप की चीन के साथ व्यापारिक लड़ाई का असर अमेरिकी कंपनियों पर पड़ रहा है। चीनी सामान पर 145% तक टैक्स लगने से अमेरिकी कंपनियों को लागत बढ़ने की चेतावनी मिल रही है। इससे महंगाई बढ़ सकती है। सामान की कमी हो सकती है। लॉस एंजिल्स के बंदरगाह पर इसका असर दिख रहा है। वहां आने वाले शिपिंग कंटेनरों की संख्या पिछले दो हफ्तों में लगभग 36% कम हो गई है।अमेरिकी राष्ट्रपति ने कह चुके है कि चीन निश्चित रूप से समझौता करना चाहता है। चीन इस मौके का फायदा उठा रहा है। हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया का दौरा किया। उन्होंने इन देशों के साथ आर्थिक रिश्ते मजबूत किए। जिन देशों को अमेरिका के टैक्स से नुकसान हो रहा है, वे चीन को एक ज्यादा भरोसेमंद साथी मान रहे हैं। र‍िश्‍ते सुधारने में जुटा है चीनचीन की कोशिशें सिर्फ दक्षिण पूर्व एशिया तक ही सीमित नहीं हैं। जापान में पहले चीन के साथ तनाव था, लेकिन अब चीन उससे रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है। चीन चाहता है कि दोनों देश मिलकर ट्रंप की व्यापार नीतियों का सामना करें। चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर दबाव डालने के लिए भी कर रहा है। वह धमकी दे रहा है कि अगर कोई कंपनी चीनी खनिजों से बने सामान को अमेरिका की रक्षा कंपनियों को भेजती है तो उस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चीन यूरोप के साथ एक व्यापार समझौते को फिर से शुरू करने के लिए प्रतिबंधों को हटाने की योजना बना रहा है। चीनी मीडिया यूरोपीय नेताओं से चीन के साथ मिलकर बहुपक्षीयता की रक्षा करने का आह्वान कर रहा है। हांगकांग विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर ली चेंग ने कहा, 'लोगों का अमेरिका पर से भरोसा उठ गया है, खासकर डोनाल्ड ट्रंप पर। चीन पर नहीं। इसलिए इस मामले में चीन को भू-राजनीतिक परिदृश्य में फायदा हो रहा है।'
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