नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (IAF) को तय समय से लगभग एक दशक पहले ही स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट मिलने की उम्मीद को पंख लगते दिख रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( DRDO ) ने अपने नए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की फ्लाइट टेस्टिंग शुरू कर दी है। ' स्वयं रक्षा कवच 'के नाम से जाना जाने वाला यह सिस्टम स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए (Light Combat Aircraft-LCA Tejas Mk1A) में फिट किया जा रहा है, जिससे दुश्मन के रडारों के लिए इसकी भनक तक लगा पाना लगभग नामुमकिन हो गया है। तेजस फाइटर जेट को सार्वजनिक क्षेत्र की एयरोनॉटिक्स कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है।
तेजस को ही बना डाला स्टील्थ फाइटर
भारत के पहले पांचवीं पीढ़ी के अपने स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) का उत्पादन शुरू होने में करीब एक दशक का इंतजार है। लेकिन, उससे पहले ही डीआरडीओ ने देसी तेजस हल्के लड़ाकू विमानों को ही स्टील्थ क्षमता से लैस करने का इंतजाम कर दिया है। स्टील्थ टेक्नोलॉजी का मतलब है कि ऐसे लड़ाकू विमान दुश्मन के रडारों और मिसाइलों को चकमा देने में सक्षम हो जाते हैं और उनके लिए इसकी भनक तक लगा पाना मुश्किल हो जाता है। एएमसीए की तरह ही अमेरिकी एफ-35 और रूसी एसयू-57 पांचवीं पीढ़ी वाले ही स्टील्थ फाइटर जेट हैं, जिनका दुनिया भर में डंका बजता है।
'स्वयं रक्षा कवच' बनेगा तेजस की ढाल
न्यूज प्लेटफॉर्म जेंस ने इस रिपोर्ट की पुष्टि की है कि LCA Tejas Mk1A में 'स्वयं रक्षा कवच'( Swayam Raksha Kavach ) का परीक्षण शुरू भी हो चुका है। नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक ऐसा रक्षा कवच है, जो विमान की सुरक्षा में ढाल की तरह बन जाता है। इसे डीआरडीओ के सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम ने विकसित किया है और उम्मीद है कि 2026 से इसका पूरी तरह से इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। इसपर 2021 में काम शुरू हुआ था। 'स्वयं रक्षा कवच' का काम फाइटर जेट को दुश्मनों के रडारों के साथ-साथ मिसाइलों से भी सुरक्षित रखना है। इसमें एक वाइड-स्पेक्ट्रम रडार वॉर्निंग सिस्टम (RWR) भी लगा है, जो दुश्मन के रडार की नजर में आते ही, चेतावनी देने लगते हैं।
दुश्मन के रडारों को चकमा देगा सिस्टम
'स्वयं रक्षा कवच' में एक एडवांस सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर ((ASPJ) ) भी लगा है, जो डिजिटल रेडियो फ्रिक्वेंसी मेमोरी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। यह जैमर दुश्मन के रडार तक फर्जी सिंग्नल भेजकर उसे भ्रमित कर देता है, जिससे उन्हें फाइटर जेट के बारे में जरा भी भनक नहीं लग पाता। इस तरह से यह पूरा 'स्वयं रक्षा कवच' सिस्टम Tejas Mk1A को पूर्ण रूप से स्टील्थ फाइटर जेट बना देता है, जिसकी वजह से हवाई युद्ध के दौरान इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
युद्ध के दौरान पायलट के लिए सुरक्षा कवच
एलसीए तेजस एमके1ए भारत का अबतक का सबसे एडवांस स्वदेशी फाइटर जेट है। अब जब इसमें 'स्वयं रक्षा कवच' लगाया जा रह है, इससे आधुनिक जमाने के युद्ध के लिए यह और भी ज्यादा ताकतवर बन गया है। तेजस पहले से ही अपनी चतुराई और परफॉर्मेंस के लिए जाना जाता है और अब नए सिस्टम की वजह से जंग के दौरान यह खासकर पायलटों के लिए और भी ज्यादा सुरक्षित बन गया है। इस सिस्टम के लगते ही यह विमान अब इलेक्ट्रॉनिक और रडार आधारित जोखिमों का सामना करने में काफी ज्यादा सक्षम हो गए हैं। गौरतलब है कि सितंबर में ही भारत सरकार की ओर से एचएएल से एयर फोर्स के लिए 97 Tejas Mk1A खरीदने का सौदा हुआ है। इसमें 68 एक सीट वाले लड़ाकू विमान और 29 दो सीटों वाले विमानों की डील शामिल है।
तेजस को ही बना डाला स्टील्थ फाइटर
भारत के पहले पांचवीं पीढ़ी के अपने स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) का उत्पादन शुरू होने में करीब एक दशक का इंतजार है। लेकिन, उससे पहले ही डीआरडीओ ने देसी तेजस हल्के लड़ाकू विमानों को ही स्टील्थ क्षमता से लैस करने का इंतजाम कर दिया है। स्टील्थ टेक्नोलॉजी का मतलब है कि ऐसे लड़ाकू विमान दुश्मन के रडारों और मिसाइलों को चकमा देने में सक्षम हो जाते हैं और उनके लिए इसकी भनक तक लगा पाना मुश्किल हो जाता है। एएमसीए की तरह ही अमेरिकी एफ-35 और रूसी एसयू-57 पांचवीं पीढ़ी वाले ही स्टील्थ फाइटर जेट हैं, जिनका दुनिया भर में डंका बजता है।
'स्वयं रक्षा कवच' बनेगा तेजस की ढाल
न्यूज प्लेटफॉर्म जेंस ने इस रिपोर्ट की पुष्टि की है कि LCA Tejas Mk1A में 'स्वयं रक्षा कवच'( Swayam Raksha Kavach ) का परीक्षण शुरू भी हो चुका है। नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक ऐसा रक्षा कवच है, जो विमान की सुरक्षा में ढाल की तरह बन जाता है। इसे डीआरडीओ के सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम ने विकसित किया है और उम्मीद है कि 2026 से इसका पूरी तरह से इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। इसपर 2021 में काम शुरू हुआ था। 'स्वयं रक्षा कवच' का काम फाइटर जेट को दुश्मनों के रडारों के साथ-साथ मिसाइलों से भी सुरक्षित रखना है। इसमें एक वाइड-स्पेक्ट्रम रडार वॉर्निंग सिस्टम (RWR) भी लगा है, जो दुश्मन के रडार की नजर में आते ही, चेतावनी देने लगते हैं।
दुश्मन के रडारों को चकमा देगा सिस्टम
'स्वयं रक्षा कवच' में एक एडवांस सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर ((ASPJ) ) भी लगा है, जो डिजिटल रेडियो फ्रिक्वेंसी मेमोरी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। यह जैमर दुश्मन के रडार तक फर्जी सिंग्नल भेजकर उसे भ्रमित कर देता है, जिससे उन्हें फाइटर जेट के बारे में जरा भी भनक नहीं लग पाता। इस तरह से यह पूरा 'स्वयं रक्षा कवच' सिस्टम Tejas Mk1A को पूर्ण रूप से स्टील्थ फाइटर जेट बना देता है, जिसकी वजह से हवाई युद्ध के दौरान इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
युद्ध के दौरान पायलट के लिए सुरक्षा कवच
एलसीए तेजस एमके1ए भारत का अबतक का सबसे एडवांस स्वदेशी फाइटर जेट है। अब जब इसमें 'स्वयं रक्षा कवच' लगाया जा रह है, इससे आधुनिक जमाने के युद्ध के लिए यह और भी ज्यादा ताकतवर बन गया है। तेजस पहले से ही अपनी चतुराई और परफॉर्मेंस के लिए जाना जाता है और अब नए सिस्टम की वजह से जंग के दौरान यह खासकर पायलटों के लिए और भी ज्यादा सुरक्षित बन गया है। इस सिस्टम के लगते ही यह विमान अब इलेक्ट्रॉनिक और रडार आधारित जोखिमों का सामना करने में काफी ज्यादा सक्षम हो गए हैं। गौरतलब है कि सितंबर में ही भारत सरकार की ओर से एचएएल से एयर फोर्स के लिए 97 Tejas Mk1A खरीदने का सौदा हुआ है। इसमें 68 एक सीट वाले लड़ाकू विमान और 29 दो सीटों वाले विमानों की डील शामिल है।
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