नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज का सफर फर्श से अर्श तक पहुंचने की एक प्रेरणादायक कहानी है। हैदराबाद की गलियों से निकलकर, एक ऑटो रिक्शा चालक के बेटे, सिराज ने ट्रोलिंग और आर्थिक तंगी जैसी हर चुनौती का सामना किया। आज वह जसप्रीत बुमराह के बाद भारत के दूसरे सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाज माने जाते हैं और उनकी सफलता में एमएस धोनी की एक सीधी-सी सलाह का बड़ा हाथ है।
ऑटो चलाओ से बेहतरीन गेंदबाज, ट्रोलिंग को तारीफों में बदला
IPL में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए खेलते हुए एक खराब सीजन के दौरान, सिराज को सोशल मीडिया पर फैंस की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे फैंस का रुख पल भर में बदल जाता था। एक दिन उन्हें बेहतरीन गेंदबाज कहा जाता था, तो अगले ही दिन खराब प्रदर्शन पर कहा जाता था, 'जा के अपने बाप के साथ ऑटो चलाओ।' इन अपमानजनक बातों ने सिराज को बुरी तरह प्रभावित किया था।
इस बुरे दौर में एमएस धोनी की सलाह सिराज के लिए मानसिक मजबूती का आधार बनी। धोनी ने सिराज से साफ कहा था कि 'किसी की बातों में नहीं आना। जब तू अच्छा करेगा, तो पूरी दुनिया तेरे साथ रहेगी और जब खराब करेगा, यही दुनिया तुझे गाली देगी।' धोनी की यह सलाह सिराज के दिल में उतर गई। उन्होंने बाहरी प्रशंसा या आलोचना पर ध्यान देना बंद कर दिया और सिर्फ अपने खेल, टीम के साथी और परिवार के विचारों पर ही ध्यान दिया।
गरीबी और संघर्ष से टीम इंडिया तक का सफर
सिराज का इंटरनेशनल सफर गरीबी और संघर्ष से भरा था। उन्होंने कभी भारत के लिए खेलने का सपना नहीं देखा था, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे। वह टेनिस बॉल क्रिकेट से जो भी कमाते थे, वह अपने माता-पिता को दे देते थे। उनकी प्रतिभा को पहली बार तब पहचान मिली जब उनकी मुलाकात चारमीनार क्रिकेट क्लब के मालिक से हुई, जिन्होंने उनकी आर्थिक तंगी को देखते हुए उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग और स्पाइक्स वाले जूते दिए।
इसके बाद रणजी ट्रॉफी सीजन से पहले नेट बॉलिंग करते समय तत्कालीन भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण की नजर उन पर पड़ी। अरुण ने हैदराबाद के कोच बनने के बाद सिराज को ढूंढा और टीम में शामिल कराया। उसी साल सिराज रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। सिराज आज के दिन भारत के लिए हर उस मैच में अच्छा करते हैं जब-जब टीम को उनकी जरूरत होती है।
ऑटो चलाओ से बेहतरीन गेंदबाज, ट्रोलिंग को तारीफों में बदला
IPL में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए खेलते हुए एक खराब सीजन के दौरान, सिराज को सोशल मीडिया पर फैंस की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे फैंस का रुख पल भर में बदल जाता था। एक दिन उन्हें बेहतरीन गेंदबाज कहा जाता था, तो अगले ही दिन खराब प्रदर्शन पर कहा जाता था, 'जा के अपने बाप के साथ ऑटो चलाओ।' इन अपमानजनक बातों ने सिराज को बुरी तरह प्रभावित किया था।
इस बुरे दौर में एमएस धोनी की सलाह सिराज के लिए मानसिक मजबूती का आधार बनी। धोनी ने सिराज से साफ कहा था कि 'किसी की बातों में नहीं आना। जब तू अच्छा करेगा, तो पूरी दुनिया तेरे साथ रहेगी और जब खराब करेगा, यही दुनिया तुझे गाली देगी।' धोनी की यह सलाह सिराज के दिल में उतर गई। उन्होंने बाहरी प्रशंसा या आलोचना पर ध्यान देना बंद कर दिया और सिर्फ अपने खेल, टीम के साथी और परिवार के विचारों पर ही ध्यान दिया।
गरीबी और संघर्ष से टीम इंडिया तक का सफर
सिराज का इंटरनेशनल सफर गरीबी और संघर्ष से भरा था। उन्होंने कभी भारत के लिए खेलने का सपना नहीं देखा था, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे। वह टेनिस बॉल क्रिकेट से जो भी कमाते थे, वह अपने माता-पिता को दे देते थे। उनकी प्रतिभा को पहली बार तब पहचान मिली जब उनकी मुलाकात चारमीनार क्रिकेट क्लब के मालिक से हुई, जिन्होंने उनकी आर्थिक तंगी को देखते हुए उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग और स्पाइक्स वाले जूते दिए।
इसके बाद रणजी ट्रॉफी सीजन से पहले नेट बॉलिंग करते समय तत्कालीन भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण की नजर उन पर पड़ी। अरुण ने हैदराबाद के कोच बनने के बाद सिराज को ढूंढा और टीम में शामिल कराया। उसी साल सिराज रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। सिराज आज के दिन भारत के लिए हर उस मैच में अच्छा करते हैं जब-जब टीम को उनकी जरूरत होती है।
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