पटना/दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, चुनावी माहौल में तेजी और नेताओं की गतिविधियों में रफ्तार बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपने अभियान को तूफानी मोड में डाल दिया है। रविवार को उन्होंने एक ही दिन में 17 जनसभाएं कीं, सुबह 9 बजे पटना के सर्कुलर रोड स्थित अपने आवास से निकलने के बाद देर रात तक नालंदा, शेखपुरा , बेगूसराय, वैशाली समेत कई जिलों में लोगों को संबोधित किया।
पहले चरण की 'रण' पहले तेजस्वी की ताबड़तोड़ सभातेजस्वी की यह चुनावी यात्रा का कार्यक्रम देर रात चलता रहा और पार्टी के प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत वो सोमवार तड़के करीब 4:30 बजे पटना स्थित आवास पर लौटेंगे। इसके बावजूद कुछ घंटों के विश्राम के बाद वे सुबह 9 बजे फिर अपने अगले अभियान के लिए रवाना होंगे। सोमवार को उनका कार्यक्रम बक्सर जिले से शुरू होगा, जहां से वे हवाई मार्ग से विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर कुल 15 जनसभाएं करेंगे। उनकी सोमवार की अंतिम सभा रात साढ़े तीन बजे मसौढ़ी विधानसभा के गांधी मैदान में निर्धारित है। इसके बाद वे फिर देर रात सड़क मार्ग से पटना लौटेंगे और मंगलवार तड़के 4:30 बजे घर पहुंचेंगे।
तेजस्वी का मंगलवार का कार्यक्रम इससे भी अधिक व्यस्त रहेगा। उस दिन वे फिर सुबह 9 बजे से अपने अभियान की शुरुआत करेंगे और एक ही दिन में 20 जनसभाएं करने की योजना है। इस तरह तीन दिनों में वे कुल 52 जनसभाएं करने जा रहे हैं जो किसी भी नेता के लिए अत्यधिक चुनौतीपूर्ण और थकाऊ अभियान माना जा रहा है। तेजस्वी यादव के इस चुनावी रफ्तार की तुलना अब 2020 के विधानसभा चुनाव से की जा रही है। उस समय भी उन्होंने राज्य के किसी भी नेता से सबसे अधिक 263 जनसभाएं की थीं, जो एक रिकॉर्ड था। कई मौकों पर वे रात में सभा समाप्त होने के बाद हेलिकॉप्टर न उड़ पाने की स्थिति में सड़क मार्ग से पटना लौटते थे।
2020 वाले मोड में आ गए तेजस्वी यादवआरजेडी नेताओं का कहना है कि तेजस्वी यादव की सभाओं में जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है, वो राज्य की जनता के बीच उनके प्रति भरोसे का प्रतीक है। तेजस्वी अपने भाषणों में लगातार युवाओं की रोजगार की मांग, महंगाई, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। हालांकि उनके विरोधियों का कहना है कि जनता महागठबंधन को इस बार भी नकार देगी और बिहार प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी पर ही बिहार का वोटर भरोसा जताएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी यादव एक बार फिर खुद को बिहार की राजनीति के सबसे जमीनी और सबसे सक्रिय नेता के रूप में स्थापित कर रहे हैं। उनकी चुनावी रफ्तार और लगातार जनता के बीच उपस्थिति उन्हें 2020 की तरह इस बार भी बिहार के राजनीतिक केंद्र में ला खड़ा कर रही है फर्क बस इतना है कि इस बार उनकी अभियान-शैली पहले से भी अधिक थकान-रोधी और रणनीतिक दिखाई दे रही है।
पहले चरण की 'रण' पहले तेजस्वी की ताबड़तोड़ सभातेजस्वी की यह चुनावी यात्रा का कार्यक्रम देर रात चलता रहा और पार्टी के प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत वो सोमवार तड़के करीब 4:30 बजे पटना स्थित आवास पर लौटेंगे। इसके बावजूद कुछ घंटों के विश्राम के बाद वे सुबह 9 बजे फिर अपने अगले अभियान के लिए रवाना होंगे। सोमवार को उनका कार्यक्रम बक्सर जिले से शुरू होगा, जहां से वे हवाई मार्ग से विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर कुल 15 जनसभाएं करेंगे। उनकी सोमवार की अंतिम सभा रात साढ़े तीन बजे मसौढ़ी विधानसभा के गांधी मैदान में निर्धारित है। इसके बाद वे फिर देर रात सड़क मार्ग से पटना लौटेंगे और मंगलवार तड़के 4:30 बजे घर पहुंचेंगे।
तेजस्वी का मंगलवार का कार्यक्रम इससे भी अधिक व्यस्त रहेगा। उस दिन वे फिर सुबह 9 बजे से अपने अभियान की शुरुआत करेंगे और एक ही दिन में 20 जनसभाएं करने की योजना है। इस तरह तीन दिनों में वे कुल 52 जनसभाएं करने जा रहे हैं जो किसी भी नेता के लिए अत्यधिक चुनौतीपूर्ण और थकाऊ अभियान माना जा रहा है। तेजस्वी यादव के इस चुनावी रफ्तार की तुलना अब 2020 के विधानसभा चुनाव से की जा रही है। उस समय भी उन्होंने राज्य के किसी भी नेता से सबसे अधिक 263 जनसभाएं की थीं, जो एक रिकॉर्ड था। कई मौकों पर वे रात में सभा समाप्त होने के बाद हेलिकॉप्टर न उड़ पाने की स्थिति में सड़क मार्ग से पटना लौटते थे।
2020 वाले मोड में आ गए तेजस्वी यादवआरजेडी नेताओं का कहना है कि तेजस्वी यादव की सभाओं में जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है, वो राज्य की जनता के बीच उनके प्रति भरोसे का प्रतीक है। तेजस्वी अपने भाषणों में लगातार युवाओं की रोजगार की मांग, महंगाई, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। हालांकि उनके विरोधियों का कहना है कि जनता महागठबंधन को इस बार भी नकार देगी और बिहार प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी पर ही बिहार का वोटर भरोसा जताएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी यादव एक बार फिर खुद को बिहार की राजनीति के सबसे जमीनी और सबसे सक्रिय नेता के रूप में स्थापित कर रहे हैं। उनकी चुनावी रफ्तार और लगातार जनता के बीच उपस्थिति उन्हें 2020 की तरह इस बार भी बिहार के राजनीतिक केंद्र में ला खड़ा कर रही है फर्क बस इतना है कि इस बार उनकी अभियान-शैली पहले से भी अधिक थकान-रोधी और रणनीतिक दिखाई दे रही है।
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