नई दिल्ली: भारतीय टेनिस स्टार रोहन बोपन्ना ने शनिवार को पेशेवर खेल से संन्यास की घोषणा कर दी। इसी के साथ उनके दो दशक से भी ज्यादा लंबे करियर का अंत हो गया है। रोहन बोपन्ना ने इंस्टाग्राम स्टोर पर संन्यास की घोषणा करते हुए लिखा, 'अलविदा... पर अंत नहीं। आप किसी ऐसी चीज को कैसे अलविदा कहेंगे, जिसने आपके जीवन को एक अर्थ दिया? हालांकि, टूर पर 20 अविस्मरणीय वर्षों के बाद, अब समय आ गया है। मैं आधिकारिक तौर पर अपना संन्यास ले रहा हूं।'
उन्होंने लिखा, 'जब मैं यह लिख रहा हूं, मेरा दिल एक साथ भारी भी है और आभारी भी। मैंने भारत के कूर्ग जैसे छोटे से शहर से अपनी यात्रा शुरू की। मैंने सर्व को मजबूत करने के लिए लकड़ी के लट्ठे काटे, स्टैमिना बढ़ाने के लिए कॉफी के बागानों में दौड़ा। आज दुनिया के सबसे बड़े एरीना की रोशनी में खड़ा होना किसी सपने जैसा लगता है।'
स्टार खिलाड़ी ने लिखा- टेनिस मेरे लिए सिर्फ एक खेल नहीं रहा। इसने मुझे दिशा दी जब मैं भटका हुआ था, हिम्मत दी जब मैं टूटा था, और विश्वास दिलाया जब दुनिया ने मुझ पर शक किया। हर बार जब मैं कोर्ट पर उतरा, इस खेल ने मुझे धैर्य सिखाया, गिरकर दोबारा उठने की ताकत दी और तब लड़ना सिखाया जब अंदर से हार मान लेने का मन हुआ। सबसे बढ़कर, इसने मुझे हमेशा याद दिलाया मैंने क्यों शुरुआत की थी और मैं कौन हूं।
यूएस ओपन के फाइनल के अलावा, बोपन्ना तीन और ग्रैंड स्लैम के फाइनल में भी पहुंचे। उन्होंने 2012 और 2015 में महेश भूपति और फ्लोरिन मर्जिया के साथ साल के अंत में हुए एटीपी फाइनल्स के फाइनल मुकाबले में भी हिस्सा लिया था।
साल 2017 में फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल जीतने वाले 45 वर्षीय बोपन्ना ने कई डेविस कप मुकाबलों और ओलंपिक खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। 43 वर्ष की आयु में उन्होंने विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल की। पुरुष युगल के अलावा, बोपन्ना ने 2017 में फ्रेंच ओपन में मिश्रित युगल भी जीता। रोहन बोपन्ना आखिरी बार पेरिस मास्टर्स 1000 में खेले थे, जहां उन्होंने एलेक्जेंडर बुब्लिक के साथ मिलकर खेला था।
उन्होंने लिखा, 'जब मैं यह लिख रहा हूं, मेरा दिल एक साथ भारी भी है और आभारी भी। मैंने भारत के कूर्ग जैसे छोटे से शहर से अपनी यात्रा शुरू की। मैंने सर्व को मजबूत करने के लिए लकड़ी के लट्ठे काटे, स्टैमिना बढ़ाने के लिए कॉफी के बागानों में दौड़ा। आज दुनिया के सबसे बड़े एरीना की रोशनी में खड़ा होना किसी सपने जैसा लगता है।'
स्टार खिलाड़ी ने लिखा- टेनिस मेरे लिए सिर्फ एक खेल नहीं रहा। इसने मुझे दिशा दी जब मैं भटका हुआ था, हिम्मत दी जब मैं टूटा था, और विश्वास दिलाया जब दुनिया ने मुझ पर शक किया। हर बार जब मैं कोर्ट पर उतरा, इस खेल ने मुझे धैर्य सिखाया, गिरकर दोबारा उठने की ताकत दी और तब लड़ना सिखाया जब अंदर से हार मान लेने का मन हुआ। सबसे बढ़कर, इसने मुझे हमेशा याद दिलाया मैंने क्यों शुरुआत की थी और मैं कौन हूं।
यूएस ओपन के फाइनल के अलावा, बोपन्ना तीन और ग्रैंड स्लैम के फाइनल में भी पहुंचे। उन्होंने 2012 और 2015 में महेश भूपति और फ्लोरिन मर्जिया के साथ साल के अंत में हुए एटीपी फाइनल्स के फाइनल मुकाबले में भी हिस्सा लिया था।
साल 2017 में फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल जीतने वाले 45 वर्षीय बोपन्ना ने कई डेविस कप मुकाबलों और ओलंपिक खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। 43 वर्ष की आयु में उन्होंने विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल की। पुरुष युगल के अलावा, बोपन्ना ने 2017 में फ्रेंच ओपन में मिश्रित युगल भी जीता। रोहन बोपन्ना आखिरी बार पेरिस मास्टर्स 1000 में खेले थे, जहां उन्होंने एलेक्जेंडर बुब्लिक के साथ मिलकर खेला था।
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