ज्योति शर्मा, मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के फरह क्षेत्र में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत युवक की जिंदगी उस समय बचा ली गई, जब उसने गहरे अवसाद में आकर फेसबुक पर खुदकुशी करने का वीडियो और संदेश पोस्ट किया। मेटा (Meta) कंपनी के त्वरित अलर्ट और उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय की मुस्तैदी के चलते फरह थाने की पुलिस ने मात्र 14 मिनट में युवक के घर पहुँचकर उसे आत्मघाती कदम उठाने से रोक दिया।
युवक संतोष ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा: "आज मैं अपना खून निकालूंगा, काट दूंगा मैं।" मेटा के मॉनिटरिंग सिस्टम ने तुरंत इसे खतरे के रूप में चिह्नित किया और तत्काल लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय के सोशल मीडिया सेंटर को अलर्ट भेजा। मुख्यालय ने मोबाइल नंबर के आधार पर लोकेशन पता लगाकर तुरंत मथुरा पुलिस को सूचित किया। फरह के उपनिरीक्षक अपनी टीम के साथ महज 14 मिनट में युवक के घर पहुँच गए।
युवक कमरे में एक ब्लेड से अपनी कलाई की नसें काटने का प्रयास कर रहा था। पुलिस ने तुरंत उसे रोका और काउंसलिंग की। युवक ने बताया कि वह आर्थिक तंगी के कारण अपनी पसंदीदा बाइक नहीं खरीद पा रहा था, जिससे वह अवसाद में आ गया था। पुलिस ने उसे समझाया कि जिंदगी अनमोल है।
ऐसी घटनाओं के पीछे के कारण और वर्तमान परिदृश्य-
अब तक ऐसी घटनाएं:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर, आत्महत्या संबंधी पोस्ट या लाइव स्ट्रीमिंग की घटनाएं भारत में लगातार देखने को मिल रही हैं। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश (जैसे मैनपुरी, शाहजहांपुर, कौशाम्बी) और अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ मेटा के अलर्ट पर पुलिस ने समय रहते पहुँचकर लोगों की जान बचाई है। दुखद रूप से, कुछ मामलों में पुलिस के पहुँचने से पहले ही व्यक्ति आत्महत्या कर चुका होता है। ये मामले दर्शाते हैं कि सोशल मीडिया कंपनियां और पुलिस की संयुक्त पहल कई जिंदगियां बचाने में प्रभावी साबित हो रही है।
ऐसी घटनाओं के प्रमुख कारण-
* मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे (Mental Health Issues): अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety) और तनाव प्रमुख कारण हैं।
* आर्थिक तंगी और बेरोजगारी: जैसा कि मथुरा के इस मामले में देखा गया, पैसे की कमी या वित्तीय लक्ष्य पूरा नहीं कर पाना गहरा अवसाद पैदा कर सकता है।
* रिश्तों में तनाव: प्रेम संबंध, पारिवारिक विवाद या वैवाहिक समस्याओं के चलते बड़ी संख्या में लोग यह कदम उठाते हैं।
* साइबर फ्रॉड/उत्पीड़न: ऑनलाइन धोखाधड़ी या साइबर बुलिंग भी लोगों को मानसिक रूप से तोड़ने का काम करती है।
* सोशल मीडिया का प्रभाव: कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि सोशल मीडिया पर 'कॉल फॉर हेल्प' या 'लाइव सुसाइड' करना ध्यान आकर्षित करने या अपनी निराशा व्यक्त करने का एक तरीका बन गया है।
ये घटनाएं यह उजागर करती हैं कि आर्थिक दबाव और सामाजिक अलगाव के बीच मानसिक स्वास्थ्य सहायता की पहुँच को और बढ़ाना बहुत आवश्यक है।
युवक संतोष ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा: "आज मैं अपना खून निकालूंगा, काट दूंगा मैं।" मेटा के मॉनिटरिंग सिस्टम ने तुरंत इसे खतरे के रूप में चिह्नित किया और तत्काल लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय के सोशल मीडिया सेंटर को अलर्ट भेजा। मुख्यालय ने मोबाइल नंबर के आधार पर लोकेशन पता लगाकर तुरंत मथुरा पुलिस को सूचित किया। फरह के उपनिरीक्षक अपनी टीम के साथ महज 14 मिनट में युवक के घर पहुँच गए।
युवक कमरे में एक ब्लेड से अपनी कलाई की नसें काटने का प्रयास कर रहा था। पुलिस ने तुरंत उसे रोका और काउंसलिंग की। युवक ने बताया कि वह आर्थिक तंगी के कारण अपनी पसंदीदा बाइक नहीं खरीद पा रहा था, जिससे वह अवसाद में आ गया था। पुलिस ने उसे समझाया कि जिंदगी अनमोल है।
ऐसी घटनाओं के पीछे के कारण और वर्तमान परिदृश्य-
अब तक ऐसी घटनाएं:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर, आत्महत्या संबंधी पोस्ट या लाइव स्ट्रीमिंग की घटनाएं भारत में लगातार देखने को मिल रही हैं। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश (जैसे मैनपुरी, शाहजहांपुर, कौशाम्बी) और अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ मेटा के अलर्ट पर पुलिस ने समय रहते पहुँचकर लोगों की जान बचाई है। दुखद रूप से, कुछ मामलों में पुलिस के पहुँचने से पहले ही व्यक्ति आत्महत्या कर चुका होता है। ये मामले दर्शाते हैं कि सोशल मीडिया कंपनियां और पुलिस की संयुक्त पहल कई जिंदगियां बचाने में प्रभावी साबित हो रही है।
ऐसी घटनाओं के प्रमुख कारण-
* मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे (Mental Health Issues): अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety) और तनाव प्रमुख कारण हैं।
* आर्थिक तंगी और बेरोजगारी: जैसा कि मथुरा के इस मामले में देखा गया, पैसे की कमी या वित्तीय लक्ष्य पूरा नहीं कर पाना गहरा अवसाद पैदा कर सकता है।
* रिश्तों में तनाव: प्रेम संबंध, पारिवारिक विवाद या वैवाहिक समस्याओं के चलते बड़ी संख्या में लोग यह कदम उठाते हैं।
* साइबर फ्रॉड/उत्पीड़न: ऑनलाइन धोखाधड़ी या साइबर बुलिंग भी लोगों को मानसिक रूप से तोड़ने का काम करती है।
* सोशल मीडिया का प्रभाव: कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि सोशल मीडिया पर 'कॉल फॉर हेल्प' या 'लाइव सुसाइड' करना ध्यान आकर्षित करने या अपनी निराशा व्यक्त करने का एक तरीका बन गया है।
ये घटनाएं यह उजागर करती हैं कि आर्थिक दबाव और सामाजिक अलगाव के बीच मानसिक स्वास्थ्य सहायता की पहुँच को और बढ़ाना बहुत आवश्यक है।
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