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'सर्टिफिकेट में उम्र 18 से कम', जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रेमी की हत्या मामले में लड़की को माना नाबालिग, अब यहां चलेगा केस

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जबलपुरः मध्य प्रदेश के भोपाल में एक नाबालिग लड़की के प्रेमी की हत्या के मामले में एक नया मोड़ आया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के उस फैसले को कैंसिल कर दिया है। जिसमें लड़की को बालिग मानते हुए केस चलाने की बात कही थी। इस आदेश को चुनौती देने के लिए जबलपुर कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की गई थी। इसकी सुनवाई जस्टिस दिनेश पालीवाल की एकलपीठ ने की।जस्टिस दिनेश पालीवाल की एकलपीठ ने पाया कि स्कूल और मैट्रिक सर्टिफिकेट के अनुसार अपील करने वाली लड़की की उम्र 18 साल से कम है। इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि लड़की के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मुकदमा किशोर न्याय बोर्ड में चलाया जाए। क्या है पूरा मामलादरअसल, नाबालिग लड़की ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उसने सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। लड़की पर आरोप है कि उसने 27 जुलाई 2019 को भोपाल के अशोका गार्डन में अपने दो अन्य साथियों के साथ अपने प्रेमी पीयूष जैन की हत्या कर दी थी। पीड़ित पिता ने लगाई थी याचिकाइस मर्डर की सुनवाई करते हुए किशोर न्याय बोर्ड ने स्कूल और मैट्रिक सर्टिफिकेट के आधार ने नाबालिग माना था। इसके बाद पिता ने इसके खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की थी। सेशन कोर्ट ने सागर नगर निगम के जारी प्रमाण पत्र और नर्सिंग होम रजिस्टर के अनुसार लड़की बर्थ डेट 20 सितंबर 1999 मानते हुए उसके खिलाफ सेशन कोर्ट में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इसी आदेश के खिलाफ लड़की ने जबलपुर हाईकोर्ट में अपील की थी। सेशन कोर्ट ने इस आधार पर माना बालिग हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि सत्र न्यायालय ने तीन लोगों की गवाही और ऑसिफिकेशन रिपोर्ट के आधार पर लड़की को बालिग माना है। ऑसिफिकेशन रिपोर्ट में लड़की की उम्र 17 से 19 साल के बीच बताई गई है। यहां ऑसिफिकेशन रिपोर्ट का मतलब है हड्डियों की जांच से उम्र का पता लगाना। कोर्ट ने कहा कि यह रिपोर्ट तब मायने रखती है जब बर्थ डेट के लिए स्कूल और जन्म प्रमाण पत्र जैसे डॉक्यूमेंट नहीं हो। लड़की के सर्टिफिकेट को दी प्राथमिकताहाईकोर्ट की एकलपीठ ने कहा कि स्कूल से प्राप्त जन्मतिथि प्रमाण पत्र और मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ये सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। जब ये दस्तावेज उपलब्ध हैं, तो कोई अन्य प्रमाण पत्र या परीक्षण रिपोर्ट नहीं देखी जानी चाहिए। स्कूली दस्तावेज के आधार पर एकलपीठ ने अपीलकर्ता की जन्मतिथि 27 अगस्त 2001 मानते हुए उक्त आदेष जारी किये। हाईकोर्ट ने खारिज की याचिकास्कूल के दस्तावेजों के आधार पर हाईकोर्ट ने लड़की की जन्मतिथि 27 अगस्त 2001 मानते हुए सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। अब इस मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में होगी। इससे नाबालिग लड़की को राहत मिली है। उसे बालिग मानकर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
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