नई दिल्ली: दिल्ली के 12 वार्डों में होने वाले उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक बड़ी परीक्षा है। पार्टी ने इस बार अपने सांसदों को चुनाव प्रचार से दूर रखा है और जमीनी स्तर के नेताओं पर भरोसा जताया है। दिल्ली के सभी छह मंत्रियों को वार्ड चुनाव प्रभारी बनाया गया है ताकि ऐसे उम्मीदवार चुने जा सकें जो स्थानीय मुद्दों को समझते हों और अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
इन सीटों पर सबसे ज्यादा चुनौती
बीजेपी के लिए चांदनी चौक और चांदनी महल जैसी पुरानी दिल्ली की सीटें सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं, खासकर चांदनी महल, जिसे आम आदमी पार्टी (आप) ने पिछले एमसीडी चुनाव में 17 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। यह जीत का सबसे बड़ा अंतर था। दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सरकार बनी है और सरकार बनने के आठ महीने बाद यह उपचुनाव पार्टी की पहली बड़ी परीक्षा साबित होगा।
उन लोगों को बीजेपी ने सौंपी कमान
इस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए, प्रदेश बीजेपी ने चुनाव की कमान ऐसे लोगों को सौंपी है जो जमीन से जुड़े हैं और स्थानीय मुद्दों की गहरी समझ रखते हैं। इसलिए, चुनाव संयोजक और प्रभारी वही लोग बनाए गए हैं जो पार्टी में मंडल या जिला स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर हैं।
हर मंत्री को सौंपे गए दो वार्ड
दिल्ली सरकार के हर मंत्री को दो-दो वार्डों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव प्रभारी और संयोजकों को बूथ स्तर तक कड़ी निगरानी रखने, घर-घर जाकर मतदाताओं से सीधे संपर्क करने और प्रभावी प्रचार रणनीति तैयार करने का काम सौंपा गया है। यह रणनीति सुनिश्चित करेगी कि पार्टी के उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंचें और उनके मुद्दों को समझें।
इस सीट पर सबसे बड़ा अंतर
बीजेपी के लिए चांदनी महल सीट विशेष रूप से कठिन है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक आले मोहम्मद ने 2022 के एमसीडी चुनाव में 17 हजार से अधिक वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। यह एमसीडी के 250 वार्डों में जीत का सबसे बड़ा अंतर था।
चांदनी महल की सीट पर जीत हासिल करना चुनौती
इस सीट पर जीत हासिल करना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी और यह उपचुनाव के नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना सरकार के लिए बहुत जरूरी है।
पार्टी ने झोंक दी पूरी ताकत
इसलिए, पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताया है। यह उपचुनाव दिल्ली की राजनीति में बीजेपी की स्थिति को और मजबूत करने का एक मौका है। पार्टी का लक्ष्य स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके और मतदाताओं से सीधे जुड़कर जीत हासिल करना है।
इन सीटों पर सबसे ज्यादा चुनौती
बीजेपी के लिए चांदनी चौक और चांदनी महल जैसी पुरानी दिल्ली की सीटें सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं, खासकर चांदनी महल, जिसे आम आदमी पार्टी (आप) ने पिछले एमसीडी चुनाव में 17 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। यह जीत का सबसे बड़ा अंतर था। दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सरकार बनी है और सरकार बनने के आठ महीने बाद यह उपचुनाव पार्टी की पहली बड़ी परीक्षा साबित होगा।
उन लोगों को बीजेपी ने सौंपी कमान
इस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए, प्रदेश बीजेपी ने चुनाव की कमान ऐसे लोगों को सौंपी है जो जमीन से जुड़े हैं और स्थानीय मुद्दों की गहरी समझ रखते हैं। इसलिए, चुनाव संयोजक और प्रभारी वही लोग बनाए गए हैं जो पार्टी में मंडल या जिला स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर हैं।
हर मंत्री को सौंपे गए दो वार्ड
दिल्ली सरकार के हर मंत्री को दो-दो वार्डों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव प्रभारी और संयोजकों को बूथ स्तर तक कड़ी निगरानी रखने, घर-घर जाकर मतदाताओं से सीधे संपर्क करने और प्रभावी प्रचार रणनीति तैयार करने का काम सौंपा गया है। यह रणनीति सुनिश्चित करेगी कि पार्टी के उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंचें और उनके मुद्दों को समझें।
इस सीट पर सबसे बड़ा अंतर
बीजेपी के लिए चांदनी महल सीट विशेष रूप से कठिन है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक आले मोहम्मद ने 2022 के एमसीडी चुनाव में 17 हजार से अधिक वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। यह एमसीडी के 250 वार्डों में जीत का सबसे बड़ा अंतर था।
चांदनी महल की सीट पर जीत हासिल करना चुनौती
इस सीट पर जीत हासिल करना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी और यह उपचुनाव के नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना सरकार के लिए बहुत जरूरी है।
पार्टी ने झोंक दी पूरी ताकत
इसलिए, पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताया है। यह उपचुनाव दिल्ली की राजनीति में बीजेपी की स्थिति को और मजबूत करने का एक मौका है। पार्टी का लक्ष्य स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके और मतदाताओं से सीधे जुड़कर जीत हासिल करना है।
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