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Akshay Tritiya 2025 : क्यों खरीदा जाता है अक्षय तृतीया पर स्वर्ण आभूषण

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धन, सौभाग्य, समृद्धि प्राप्ति के लिए सदा ही मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है, मां लक्ष्मी की आराधना के लिए ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में श्रीसूक्त का उल्लेख आता है। श्रीसूक्त के मंत्रों में हिरण्यवर्णा, हरिणी, सुवर्णरजतस्त्रजाम आदि से लक्ष्मी जी की स्तुति की गई है। हिरण्य को ऋग्वेद में स्वर्ण एवं स्वर्ण आदि धातु की संज्ञा दी गई है। हिरण्यगर्भ सोना अग्निदेव का बीज माना जाता है। ऋग्वेद में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को एक सुनहरे गर्भ, ‘हिरण्यगर्भ’ से बताया गया है, उपनिषदों में हिरण्यगर्भ को ब्रह्माण्ड की आत्मा माना गया है। वैदिक मान्यताओें के अनुसार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का जन्म सोने से हुआ था। वेद, पुराण, शास्त्रों में सोने को स्वर्ण, हिरण्य, कांचन और कनक आदि की संज्ञा दी गई है और इसकी उत्पत्ति अग्नि से मानी गई है। अथर्ववेद में सोने को अमरता प्रदान करने वाला और अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करने वाला बताया गया है। श्रीसूक्त, ऋग्वेद में देवी लक्ष्मी को सुनहरी आभा वाली स्वर्ण माला धारण करने वाली बताया गया है। मान्यता निहित है कि सोना सौभाग्य की दिव्य उर्जा को आकर्षित करता है और उसे धारण करता है। सोने का सुनहरा रंग सूर्य की किरणों से मेल खाता है इसलिए जीवन में सौभाग्य, प्रकाश और समृद्धि को बढ़ाता है। ऐसा कहा जाता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व जब धरती का विकास हो रहा था, तब किसी टूटते तारे, सूर्य, की असीमित गर्मी की रसायनिक प्रक्रिया से स्वर्ण की उत्पत्ति हुई जो धरती पर आकर गिर गई और लाखों वर्षों में उसके उपर मिट्टी की बहुत उंची परत बन गई। मिस्र जैसी प्राचीन सभ्यताओं में भी सोने को सूर्य का प्रतीक, जीवन देने वाले देवता, सूर्य का पसीना कहा जाता था। सूर्य के साथ सोने का सम्बन्ध इसकी सुनहरी चमक, सूर्य की उर्जा और जीवन शक्ति को दर्शाती है, जो इसे दिव्य और शुभ बनाती है। अक्षयता का अभिप्राय है नाश या क्षय का अभाव, अर्थात जो कभी नष्ट न हो, जो हमेशा रहे, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन धनतेरस की ही भांति सोना, चांदी, बर्तन, कौड़ी, पीली सरसों, श्रीयंत्र जैसी शुभ वस्तुऐं खरीदना बेहद कल्याणकारी होता है। धर्मशास़्त्र का वचन है, ‘नास्ति क्षयो यस्याः सा अक्षया’, जिस तिथि को किए गए कर्म का क्षय नहीं होता, उसे अक्षया कहा जाता है। इस दिन किए गए प्रत्येक शुभाशुभ कर्म का प्रभाव अनंतकाल तक रहता है।
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