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महागठबंधन टूटने से बचा: दीपांकर भट्टाचार्य की पहल पर राहुल गांधी बने संकटमोचक, तेजस्वी से बात कर मुकेश सहनी को मनाया

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टनाः बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कई दिन की बातचीत के बाद मुकेश सहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) गरुवार को ‘महागठबंधन’ से लगभग अलग हो गई थी, लेकिन शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उसे रोक लिया गया।



सहनी ने महागठबंधन तोड़ लिया था नाता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुकेश सहनी ‘महागठबंधन’ में उचित स्थान न दिए जाने से नाराज थे और उन्होंने लगभग नाता तोड़ लिया था। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिन में वीआईपी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। सूत्र ने बताया कि सहनी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से संपर्क किया।



राहुल गांधी के बाद हस्तक्षेप से मामला सुलझा

दीपांकर भट्टाचार्य ने इसके बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से इस मुद्दे पर संपर्क किया और इस बात पर जोर दिया कि वीआईपी को समायोजित किया जाना चाहिए। जिसके बाद राहुल गांधी ने इस मामले पर राजद के शीर्ष नेतृत्व से चर्चा की और मुकेश सहनी से भी बात की। उन्होंने कहा कि इस हस्तक्षेप के बाद वीआईपी प्रमुख ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर ‘महागठबंधन’ में बने रहने की प्रतिबद्धता जताई।



निषाद समुदाय की आबादी करीब 2.5प्रतिशत

पत्र में वीआईपी प्रमुख ने कहा कि उन्हें निश्चित संख्या में सीट दिए जाने का आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि संख्या मायने नहीं रखती, क्योंकि वे विचारधारा के कारण गठबंधन का हिस्सा हैं और सांप्रदायिक तथा विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ लड़ना चाहते हैं। मुकेश सहनी बिहार में निषाद समुदाय के नेता हैं, जो राज्य की आबादी का लगभग 2.5 प्रतिशत है।

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