पटना/हैदराबाद: कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली। राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने मुख्यमंत्री सहित कई महत्वपूर्ण नेताओं की उपस्थिति में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को शपथ दिलाई। सूत्रों ने बताया था कि तेलंगाना की कांग्रेस यूनिट ने आलाकमान से अनुरोध किया था कि अजहरुद्दीन को मंत्री बनाया जाए क्योंकि इस समय राज्य मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यकों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सूत्रों ने बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने अजहरुद्दीन के नाम को मंजूरी दे दी। मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ पूर्व क्रिकेटर राज्य मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले पहले मंत्री बन गए हैं। कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए एआईसीसी ने संभवतः अजहरुद्दीन को मंत्रिमंडल में शामिल करने की इच्छा इसलिए दिखाई है क्योंकि वहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है।   
   
   
अजहरुद्दीन बने मंत्री , बिहार पर सियासी नजरबिहार विधानसभा चुनाव में 40 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर डिसाइडिंग फैक्टर हैं। इसके अलावा भी कई सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर काफी अहम है। मोहम्मद अजरुद्दीन फेमस क्रिकेटर रहे हैं। भारत में उनकी काफी लोकप्रियता है। पार्टी इसका चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। हैदराबाद बेस्ड असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, बिहार के सीमांचल में मुस्लिम मतदाताओं के बीच काफी इम्पैक्ट दिखा रही है। 2020 चुनाव में उसने पांच सीटें जीती थी। माना जा रहा है कि हैदराबाद के जुबली हिल्स उपचुनाव के साथ-साथ बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर मोहम्मद अजरुद्दीन को मंत्री पद का शपथ दिलाया गया। बिहार में 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।
   
     
जुबली हिल्स उपचुनाव में फायदे की उम्मीदअजहरुद्दीन के शामिल होने से तेलंगाना मंत्रिमंडल में कुल सदस्यों की संख्या 16 हो गई है, जबकि दो और जगह खाली हैं। विधानसभा सदस्यों की संख्या के अनुसार, तेलंगाना में अधिकतम 18 मंत्री हो सकते हैं। पूर्व क्रिकेटर को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना एक अहम कदम माना जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी जुबली हिल्स उपचुनाव में पूरी ताकत से लड़ रही है, जहां एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस साल जून में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया है। तेलंगाना सरकार ने अगस्त में राज्यपाल कोटे से अजहरुद्दीन को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) नामित किया था। हालांकि, राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है। अजहरुद्दीन ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जुबली हिल्स क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इनपुट- भाषा
  
अजहरुद्दीन बने मंत्री , बिहार पर सियासी नजरबिहार विधानसभा चुनाव में 40 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर डिसाइडिंग फैक्टर हैं। इसके अलावा भी कई सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर काफी अहम है। मोहम्मद अजरुद्दीन फेमस क्रिकेटर रहे हैं। भारत में उनकी काफी लोकप्रियता है। पार्टी इसका चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। हैदराबाद बेस्ड असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, बिहार के सीमांचल में मुस्लिम मतदाताओं के बीच काफी इम्पैक्ट दिखा रही है। 2020 चुनाव में उसने पांच सीटें जीती थी। माना जा रहा है कि हैदराबाद के जुबली हिल्स उपचुनाव के साथ-साथ बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर मोहम्मद अजरुद्दीन को मंत्री पद का शपथ दिलाया गया। बिहार में 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।
जुबली हिल्स उपचुनाव में फायदे की उम्मीदअजहरुद्दीन के शामिल होने से तेलंगाना मंत्रिमंडल में कुल सदस्यों की संख्या 16 हो गई है, जबकि दो और जगह खाली हैं। विधानसभा सदस्यों की संख्या के अनुसार, तेलंगाना में अधिकतम 18 मंत्री हो सकते हैं। पूर्व क्रिकेटर को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना एक अहम कदम माना जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी जुबली हिल्स उपचुनाव में पूरी ताकत से लड़ रही है, जहां एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस साल जून में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया है। तेलंगाना सरकार ने अगस्त में राज्यपाल कोटे से अजहरुद्दीन को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) नामित किया था। हालांकि, राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है। अजहरुद्दीन ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जुबली हिल्स क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इनपुट- भाषा
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