मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मतदाता सूची में 18 साल की आयु होने के बाद नाम नहीं जोड़ने पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर हर व्यक्ति 18 वर्ष की उम्र पूरी करते ही मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन करने लगे, तो इससे अधिकारियों पर सत्यापन (वेरिफिकेशन) का बहुत अधिक बोझ पड़ जाएगा और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। अदालत ने कहा कि जब भी मतदाता सूची में संशोधन किया जाएगा तो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके व्यक्ति को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इसने निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को निर्देश दिया कि वह मुंबई में मतदाता के रूप में नामांकन की इच्छुक 18-वर्षीय युवती के आवेदन पर छह सप्ताह के भीतर निर्णय ले।
रूपिका सिंह पहुंची थी हाई कोर्ट
इस साल अप्रैल में 18 साल की हुई रूपिका सिंह ने हाईकोर्ट का रुख कर दावा किया था कि मतदाता के रूप में नामांकन के लिए उसका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि राज्य में ‘कट-ऑफ’ तारीख एक अक्टूबर, 2024 थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नवंबर 2024 में होना था। मार्च 2022 में होने वाले बृहन्मुंबई महानगपालिका चुनाव का कार्यक्रम अभी तक घोषित नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति रियाज चागला और न्यायमूर्ति फरहान दुबाश की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मतदान की स्वतंत्रता और मतदान के अधिकार में अंतर है। अदालत ने कहा कि जब आप 18 वर्ष के हो जाते हैं, तो आपको वोट देने की स्वतंत्रता मिल जाती है, लेकिन यह अधिकार तभी मिलता है जब प्राधिकारी मतदाता सूची में संशोधन करते हैं। इसने कहा कि अक्टूबर 2024 तक, जब मतदाता सूची तैयार की गई थी, याचिकाकर्ता वोट देने के लिए पात्र नहीं थी।
अदालत ने कहा बाढ़ आ जाएगी
पीठ का यह भी मत था कि यदि प्रत्येक व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी होते ही आवेदन दाखिल करना शुरू कर दे, तो प्राधिकारियों को प्रत्येक आवेदन का सत्यापन करते रहना पड़ेगा। इसने कहा कि इससे बाढ़ के द्वार खुलने जैसी स्थिति हो जाएगी। अदालत ने कहा कि जब भी मतदाता सूची में संशोधन होगा, तो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके व्यक्ति को भी इसमें शामिल किया जाएगा। अदालत ने जब पूछा कि क्या संबंधित प्राधिकारी उसके आवेदन पर विचार करेंगे, तो भारत निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने सहमति व्यक्त की।
कोर्ट ने छह हफ्ते का दिया समय
पीठ ने निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को सिंह के आवेदन पर छह सप्ताह के भीतर विचार करने का निर्देश दिया और याचिका का निपटारा कर दिया। सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके मतदान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है और मतदाता सूची में नाम शामिल न होने से वह आगामी नगर निकाय चुनाव में मतदान नहीं कर पाएगी। गौरतलब हो कि महाराष्ट्र में अभी स्थानीय निकाय चुनावों की शुरुआत हुई है। आयोग ने नगर पंचायत और परिषद के चुनावों को ऐलान किया है। जो 3 दिसंबर को संपन्न होंगे। इसके बाद जिला परिषद के चुनाव संभव है। तीसरे और अंतिम चरण में मुंबई समेत तमाम नगर पालिकाओं के चुनाव होंगे। ऐसे में संभव है कि रूपिका सिंह बतौर वोटर अब मुंबई में वोट डालें। (एजेंसी इनपुट के साथ)
रूपिका सिंह पहुंची थी हाई कोर्ट
इस साल अप्रैल में 18 साल की हुई रूपिका सिंह ने हाईकोर्ट का रुख कर दावा किया था कि मतदाता के रूप में नामांकन के लिए उसका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि राज्य में ‘कट-ऑफ’ तारीख एक अक्टूबर, 2024 थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नवंबर 2024 में होना था। मार्च 2022 में होने वाले बृहन्मुंबई महानगपालिका चुनाव का कार्यक्रम अभी तक घोषित नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति रियाज चागला और न्यायमूर्ति फरहान दुबाश की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मतदान की स्वतंत्रता और मतदान के अधिकार में अंतर है। अदालत ने कहा कि जब आप 18 वर्ष के हो जाते हैं, तो आपको वोट देने की स्वतंत्रता मिल जाती है, लेकिन यह अधिकार तभी मिलता है जब प्राधिकारी मतदाता सूची में संशोधन करते हैं। इसने कहा कि अक्टूबर 2024 तक, जब मतदाता सूची तैयार की गई थी, याचिकाकर्ता वोट देने के लिए पात्र नहीं थी।
अदालत ने कहा बाढ़ आ जाएगी
पीठ का यह भी मत था कि यदि प्रत्येक व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी होते ही आवेदन दाखिल करना शुरू कर दे, तो प्राधिकारियों को प्रत्येक आवेदन का सत्यापन करते रहना पड़ेगा। इसने कहा कि इससे बाढ़ के द्वार खुलने जैसी स्थिति हो जाएगी। अदालत ने कहा कि जब भी मतदाता सूची में संशोधन होगा, तो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके व्यक्ति को भी इसमें शामिल किया जाएगा। अदालत ने जब पूछा कि क्या संबंधित प्राधिकारी उसके आवेदन पर विचार करेंगे, तो भारत निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने सहमति व्यक्त की।
कोर्ट ने छह हफ्ते का दिया समय
पीठ ने निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को सिंह के आवेदन पर छह सप्ताह के भीतर विचार करने का निर्देश दिया और याचिका का निपटारा कर दिया। सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके मतदान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है और मतदाता सूची में नाम शामिल न होने से वह आगामी नगर निकाय चुनाव में मतदान नहीं कर पाएगी। गौरतलब हो कि महाराष्ट्र में अभी स्थानीय निकाय चुनावों की शुरुआत हुई है। आयोग ने नगर पंचायत और परिषद के चुनावों को ऐलान किया है। जो 3 दिसंबर को संपन्न होंगे। इसके बाद जिला परिषद के चुनाव संभव है। तीसरे और अंतिम चरण में मुंबई समेत तमाम नगर पालिकाओं के चुनाव होंगे। ऐसे में संभव है कि रूपिका सिंह बतौर वोटर अब मुंबई में वोट डालें। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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