दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर छू रहा है। सांस लेना तक मुश्किल हो गया है क्योंकि हवा में ज़हर घुल चुका है। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण को लागू कर दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली का एक्यूआई (AQI) 413 दर्ज किया गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पांचवीं कक्षा तक के सभी स्कूलों में हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन या ऑफलाइन विकल्प) की व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया है।
दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का चरम स्तर
राष्ट्रीय राजधानी के लगभग सभी हिस्सों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई। आनंद विहार में AQI 438, अलीपुर में 431, बवाना में 451, बुराड़ी में 439, चांदनी चौक में 449, द्वारका में 423, आईटीओ में 433, जहांगीरपुरी में 446, इंडिया गेट के पास 408, नरेला में 437 और लोधी रोड के आसपास 401 दर्ज हुआ। वहीं एनसीआर के अन्य शहरों में भी हालात बेहतर नहीं हैं — नोएडा सेक्टर-62 में AQI 371, गाजियाबाद के वसुंधरा में 337, इंदिरापुरम में 304 और गुरुग्राम के सेक्टर-51 में 368 दर्ज किया गया। मंगलवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI 428 रहा, जो देशभर में सबसे अधिक था। वहीं 425 के साथ नोएडा दूसरे स्थान पर रहा।
ग्रेप-3 लागू, सड़कों से हटेंगी कई गाड़ियां
GRAP-3 के लागू होने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में कई तरह के प्रतिबंध प्रभावी हो गए हैं। अब BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों के संचालन पर रोक रहेगी। हालांकि दिव्यांगजन व्यक्तिगत उपयोग के लिए इन वाहनों का इस्तेमाल कर सकेंगे।
निर्माण और विध्वंस गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोका गया है। स्कूलों में पांचवीं तक के छात्रों को घर से ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कराने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा ईंट भट्ठे, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर जैसी इकाइयों को तुरंत बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
किन्हें मिलेगी छूट?
कुछ आवश्यक सेवाओं को GRAP-3 के दायरे से बाहर रखा गया है।
दिल्ली सरकार ऐसे वाहनों को छूट दे सकेगी जो जरूरी सेवाओं से जुड़े हैं।
रेलवे, मेट्रो, एयरपोर्ट, आईएसबीटी, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं और सार्वजनिक महत्व के कार्यों को भी छूट दी गई है। हालांकि जो इकाइयाँ स्वच्छ ईंधन पर संचालित नहीं हो रही हैं, जैसे ईंट भट्ठे और हॉट मिक्स प्लांट, उन्हें बंद करना अनिवार्य होगा।
सांसों पर भारी प्रदूषित हवा
प्रदूषित हवा का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में अस्थमा, एलर्जी, खांसी, गले में खराश और सिरदर्द जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डॉक्टरों ने बताया कि प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों की स्थिति और बिगड़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में मौजूद धूल और सूक्ष्म कण शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों पर गंभीर असर डालते हैं।
डॉक्टरों की सलाह — सावधानी ही बचाव
गुरुग्राम के नागरिक अस्पताल के पीएमओ, डॉ. लोकवीर ने कहा कि सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें, क्योंकि इस दौरान स्मॉग का स्तर सबसे अधिक होता है। घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना जरूरी है। यदि मास्क न हो तो रूमाल से नाक और मुंह ढक लें।
सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन या थकान महसूस हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर चिकित्सकीय सलाह लें। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की यह भयावह स्थिति एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि क्या राजधानी को “गैस चेंबर” बनने से रोकने के लिए अब भी पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं या नहीं।
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