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ऑपरेशन सिंदूर: 14 लोकल आतंकियों की हिटलिस्ट में से 6 ढेर, अब बचे 8 — जल्द होगा अंतिम हिसाब

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया 'ऑपरेशन सिंदूर' अब तक पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने में सफल रहा है। भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने जिन 14 स्थानीय आतंकियों की हिटलिस्ट तैयार की थी, उनमें से 6 को अब तक ढेर किया जा चुका है। इन आतंकियों की पहचान अत्याधुनिक तकनीकी निगरानी और सटीक खुफिया सूचनाओं के जरिए की गई थी। इनका मुख्य कार्य पाकिस्तान से आए आतंकियों को स्थानीय स्तर पर लॉजिस्टिक सपोर्ट, ठिकाने और मदद मुहैया कराना था, इसलिए इनका खात्मा बेहद जरूरी था।

अब तक मारे गए आतंकी कौन हैं?

PTI की खबर के अनुसार मारे गए 6 आतंकियों में पुलवामा में मारे गए आमिर नजीर वानी, यावर अहसान बट्ट और आसिफ अहमद शेख प्रमुख हैं। वहीं शोपियां में मारे गए आतंकियों में शाहिद कुट्टे (लश्कर का शीर्ष कमांडर), अदनान शाफी और अहसान उल हक शेख शामिल हैं। इनकी मौत के बाद पुलवामा और शोपियां जैसे संवेदनशील जिलों में आतंकवादी गतिविधियों पर लगभग विराम लग गया है।

बचे हुए 8 टॉप आतंकी


सुरक्षा एजेंसियों की नजर अब बचे हुए 8 स्थानीय आतंकियों पर है, जिनकी तलाश युद्ध स्तर पर की जा रही है। इनकी जानकारी निम्नलिखित है:

1. आदिल रहमान देंतू

संगठन: लश्कर-ए-तैयबा

लोकेशन: सोपोर

2021 से सक्रिय, जिला कमांडर

उच्च प्राथमिकता पर

2. हरीश नजीर

संगठन: लश्कर

लोकेशन: पुलवामा

एक्टिव लोकल आतंकी

3. आसिफ अहमद कंडे

संगठन: हिजबुल मुजाहिदीन

लोकेशन: शोपियां

2015 से सक्रिय, पाकिस्तान से ट्रेनिंग प्राप्त

4. नसीर अहमद वानी

संगठन: लश्कर

लोकेशन: शोपियां

पाकिस्तानी आतंकी नेटवर्क से सीधा जुड़ा

5. आमिर अहमद डार

संगठन: लश्कर/TRF

लोकेशन: शोपियां

2023 से सक्रिय, विदेशी आतंकियों को सहायता प्रदान करता है

6. जुबैर अहमद वानी

संगठन: हिजबुल

लोकेशन: अनंतनाग

ऑपरेशनल कमांडर, A+ श्रेणी का आतंकी

7. हारून रशीद गनी

संगठन: हिजबुल

लोकेशन: अनंतनाग

पाकिस्तान में ट्रेनिंग प्राप्त, हाई रिस्क टारगेट

8. जुबेर अहमद गनी

संगठन: लश्कर

लोकेशन: कुलगाम

IED धमाकों और टारगेट किलिंग में शामिल

क्या है सेना और एजेंसियों की अगली रणनीति?

भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने इन 8 बचे आतंकियों के खिलाफ जमीनी और तकनीकी दोनों स्तरों पर निगरानी बढ़ा दी है। इनकी पकड़ के लिए ड्रोन सर्विलांस, तकनीकी इंटेलिजेंस (TIC) और स्थानीय जानकारी का सहारा लिया जा रहा है। इनके मददगार ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पहचान की जा चुकी है। खास बात यह है कि हर आतंकी के लिए अलग ऑपरेशन प्लान तैयार किया गया है।

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