मथुरा, 31 अगस्त . राधा अष्टमी के मौके पर Sunday को ब्रजभूमि आस्था के रंग में रंगी दिखी. रावल, बरसाना और वृंदावन में भक्तों का ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि गलियां राधे-राधे की गूंज और फूलों की वर्षा से सराबोर हो गईं.
करीब सात लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने राधारानी के दर्शन कर दिव्यता का अनुभव किया. सुबह से ही रावल स्थित जन्मस्थली पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा. यहां विशेष पूजा-अर्चना और भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें दूरदराज से आए भक्तों ने भक्ति रस का आनंद लिया.
बरसाना का राधारानी मंदिर आयोजन का केंद्र रहा, जहां बूढ़ी लीला महोत्सव की शुरुआत हुई. वहीं, वृंदावन के बांके बिहारी और राधा रमण मंदिरों में भव्य झांकियां और संध्याएं हुईं, जिनमें हजारों श्रद्धालु डूबते-उतराते दिखे. उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने छह स्थानों पर एलईडी स्क्रीन लगवाई, जिनसे लाखों भक्तों ने लाइव दर्शन किए.
लोक कलाकारों की छह टीमों ने बीन, नगाड़ा, ढोल और तबले की धुनों से ऐसा वातावरण रचा कि पूरा बरसाना राधे-राधे के उद्घोष से गूंज उठा. श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए गोवर्धन-बरसाना और बरसाना-छाता मार्ग पर बने भव्य स्वागत द्वार आकर्षण के केंद्र बने.
गलियों और मंदिर प्रांगण को फूलों और रोशनी से सजाया गया, जिससे ब्रज की सांस्कृतिक छवि और निखरकर सामने आई. त्योहार ने आस्था और पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी.
होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, परिवहन सेवाओं, दुकानदारों और हस्तशिल्प विक्रेताओं को जबरदस्त लाभ हुआ. भीड़ ने हजारों लोगों के लिए अस्थायी रोजगार पैदा किए. दुकानें, प्रसाद विक्रेता और हस्तशिल्प की छोटी-छोटी दुकानों पर जमकर खरीदारी हुई.
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “राधा अष्टमी केवल आस्था का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्थानीय लोगों की समृद्धि और रोजगार का माध्यम भी है. सरकार और विभाग का संकल्प है कि ब्रज आने वाले हर श्रद्धालु को सुविधा और आत्मीयता मिले.”
पर्यटन एवं संस्कृति के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि जब देश-विदेश से आए श्रद्धालु यहां की संस्कृति और बेहतर व्यवस्थाओं का अनुभव लेकर लौटते हैं, तो यह ब्रज पर्यटन की पहचान को सशक्त करता है.
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विकेटी/एबीएम
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