New Delhi, 15 सितंबर . Prime Minister Narendra Modi ने Monday को बीते एक दशक में India में हुई डिजिटल क्रांति के सफर के बारे में बताया, जिसमें जेएएम (जन धान-आधार-मोबाइल) ट्रिनिटी, यूपीआई, गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और ई-एमएएम (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) और अन्य के बारे में चर्चा की गई.
Prime Minister ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का आर्टिकल शेयर करते हुए कहा, “डिजिटल इंडिया का दशक केवल टेक्नोलॉजी के बारे में नहीं, बल्कि बदलाव के बारे में भी है और यहां से कहानी की केवल शुरुआत हुई है.”
Union Minister ने कहा कि पिछले एक दशक में, India में एक ऐसी डिजिटल क्रांति आई है जो किसी असाधारण घटना से कम नहीं है. लक्षित तकनीकी हस्तक्षेपों की एक श्रृंखला के रूप में शुरू हुई यह क्रांति अब एक व्यापक परिवर्तन में बदल गई है, जिसने भारतीय जीवन के लगभग हर पहलू जैसे अर्थव्यवस्था, शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वाणिज्य, और यहां तक कि देश के सुदूर कोनों में रहने वाले किसानों और छोटे उद्यमियों के जीवन को भी प्रभावित किया है .
Union Minister ने आर्टिकल में लिखा, “यह यात्रा आकस्मिक नहीं रही है. India Government ने साहसिक नीति-निर्माण, अंतर-मंत्रालयी सहयोग और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता के संयोजन के माध्यम से इसे सावधानीपूर्वक संचालित किया है.”
आर्टिकल में बताया गया है कि जहां इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और अन्य जैसे संबंधित मंत्रालयों ने जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को क्रियान्वित किया है. वहीं नीति आयोग ने नीति निर्माण में एक इंजन की भूमिका निभाई है और सभी को एक साथ लाने का काम किया है.
उन्होंने आगे कहा कि जेएएम ट्रिनिटी के लागू होने के साथ ही एक बड़ा मोड़ आया. 55 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलने के साथ, लाखों लोग जो पहले वित्तीय प्रणाली से बाहर थे, उन्हें अचानक बैंकिंग और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की सुविधा मिल गई.
आर्टिकल में Union Minister ने कहा कि Odisha के एक छोटे से गांव में, एक अकेली मां पहली बार बिचौलियों से बचकर सीधे अपने बैंक खाते में कल्याणकारी लाभ प्राप्त करने में सक्षम हुई. उसकी कहानी पूरे India में लाखों लोगों की कहानी है. वित्त मंत्रालय द्वारा समर्थित और आधार व मोबाइल की पहुंच से सक्षम इस विशाल वित्तीय समावेशन आंदोलन ने आगे आने वाले नए दौर की नींव रखी है.
आर्टिकल में यह भी बताया गया है कि आरबीआई के मार्गदर्शन में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा विकसित यूपीआई ने भारतीयों के लेन-देन के तरीके में क्रांति ला दी. किसी दोस्त को पैसे भेजने के एक नए तरीके के रूप में शुरू हुआ यह यूपीआई जल्द ही छोटे व्यवसायों, सब्जी विक्रेताओं और गिग वर्कर्स की जीवनरेखा बन गया.
आज, India में हर महीने 17 अरब से ज्यादा यूपीआई लेनदेन होते हैं, और यहां तक कि सड़क किनारे सब्जी बेचने वाले भी एक साधारण क्यूआर कोड के जरिए डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं.
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एबीएस/
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