New Delhi, 27 अगस्त . कारगिल युद्ध के वीर शहीद कैप्टन अनुज नय्यर ने मात्र 24 साल की उम्र में अपनी जान न्योछावर कर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. उनके अदम्य साहस और बलिदान की बदौलत भारत ने कारगिल युद्ध में विजय का परचम लहराया. उनकी सगाई हो चुकी थी और शादी होने वाली थी, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था.
कारगिल की चोटियों पर चढ़ने वाले युवा अधिकारियों में, कैप्टन अनुज नय्यर शांत शक्ति के प्रतीक थे. 6 जुलाई 1999 को तोलोलिंग परिसर में पिंपल पर हमले के दौरान, उनकी कंपनी दुश्मन की विनाशकारी गोलाबारी की चपेट में आ गई. हताहतों की संख्या बढ़ गई, और हिचकिचाहट से जान जा सकती थी. नय्यर ने स्थिति का आकलन किया, फिर ऐसे दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़े कि संदेह की कोई गुंजाइश न रही. आगे बढ़कर नेतृत्व करते हुए, उन्होंने ग्रेनेड और निकट युद्ध कौशल का उपयोग करके दुश्मन के तीन बंकरों को खुद से नष्ट कर दिया.
जैसे ही मशीन गन की गोलियां उनके चारों ओर की चट्टानों को चीरती हुई आगे बढ़ीं, उन्होंने चौथे बंकर को नष्ट करने की कोशिश करनी शुरू कर दी. इस चुनौतीपूर्ण कार्य के अंत में उन पर रॉकेट-चालित ग्रेनेड से हमला हुआ, जिसकी वजह से वह शहीद हो गए. उनकी बहादुरी ने दुश्मन को चारों-खाने चित किया., जिससे उनके नेतृत्व में आए सैनिकों को लक्ष्य पर कब्जा करने में सफलता मिली.
उनकी मां की मानें तो वह कभी लड़ाई करने वाले नहीं थे, बल्कि हमेशा रक्षा करने वाले थे. कारगिल में उन्होंने इस सच्चाई को जीया और अपने जवानों को अपनी जान देकर बचाया.
उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कैप्टन अनुज नय्यर का जन्म 28 अगस्त, 1975 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता प्रोफेसर थे, और उनकी मां, दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस लाइब्रेरी में कार्यरत थीं.
अनुज एक मेधावी छात्र थे और पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते थे. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से प्रशिक्षण प्राप्त किया. जून 1997 में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से कमीशन प्राप्त कर वे 17 जाट रेजिमेंट में शामिल हुए.
7 जुलाई, 1999 को केवल 24 वर्ष की आयु में कैप्टन नय्यर ने दुश्मन की भारी गोलीबारी के बावजूद, अपनी टीम का नेतृत्व किया और कई दुश्मन बंकरों को नष्ट किया. इस अभियान में वह और उनकी टीम के कई जवान मां भारती की आन-बान और शान की रक्षा करते हुए शहीद हो गए, लेकिन उनकी वीरता ने भारत को इस महत्वपूर्ण स्थान पर कब्जा करने में मदद की, जो टाइगर हिल की जीत के लिए निर्णायक साबित हुआ.
कैप्टन अनुज नय्यर की वीरता की कहानियां आज भी कारगिल की चोटियों पर गूंजती हैं. उनकी शहादत ने न केवल उनके रेजिमेंट बल्कि पूरे देश को प्रेरित किया. उनकी कहानी कारगिल विजय दिवस पर विशेष रूप से याद की जाती है.
–
डीकेएम/जीकेटी
You may also like
आज का सिंह राशिफल, 28 अगस्त 2025 : नौकरीपेशा लोगों को योग्यतानुसार काम मिलेगा
यहां हर साल लगती है सांपों की अदालत, नाग देवता खुद आकर बताते हैं क्यों काटा था`
मां मुस्लिम खुद करती हैं हनुमान चालीसा का पाठ… 82 की उम्र में कुंवारी हैं ये बॉलीवुड एक्ट्रेस`
Aaj Ka Ank Jyotish 28 August 2025 : मूलांक 6 को आर्थिक मामलों में होगा लाभ, मूलांक 7 के सुख के साधन बढ़ेंगे, जन्मतिथि से जानें आज का भविष्यफल
भयंकर ठंड, ऊपर से रात का समय, फिर भी छोटे कपड़ों में महिलाओं को नहीं लगती ठंड, जाने क्या है वजह`