यूक्रेन और रूस के बीच एक नया संघर्ष शुरू हो गया है, जिसमें यूक्रेन ने यूरोप को रूसी गैस की आपूर्ति रोक दी है। इस निर्णय से रूस को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि उनका देश अब रूस को अपने संसाधनों से अरबों की कमाई करने की अनुमति नहीं देगा। गैस निर्यात में कमी की पुष्टि रूस की गैस कंपनी गैजप्रोम ने भी की है। इस निर्णय के बाद कई यूरोपीय देशों ने यूक्रेन के प्रति नाराजगी व्यक्त की है, जिसमें स्लोवाकिया ने बिजली की आपूर्ति रोकने की चेतावनी दी है।
रूस की गैस आपूर्ति का इतिहास
जेलेंस्की का यह कदम अचानक नहीं है। उन्होंने लगभग एक वर्ष पहले यूरोपीय देशों को सूचित किया था कि वह इस सर्दी से पहले गैस की आपूर्ति बंद कर देंगे, ताकि यूरोपीय देश पहले से ही वैकल्पिक उपाय कर सकें। कई यूरोपीय देशों ने पहले से ही रूसी गैस की मात्रा को सीमित करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब उन्हें नए विकल्पों की तलाश करनी होगी। रूस ने 1991 से यूरोप को गैस की आपूर्ति की है।
स्लोवाकिया का विरोध
यूक्रेन के इस निर्णय के खिलाफ विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। स्लोवाकिया, जो कि ऑस्ट्रिया, हंगरी और इटली तक गैस पहुंचाने का मार्ग है, ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है। स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको ने यूक्रेन को बिजली की आपूर्ति बंद करने की धमकी दी है।
रूस को हुआ बड़ा आर्थिक नुकसान
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे रूस को भारी नुकसान हुआ है। जेलेंस्की का यह निर्णय रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। यूरोप को गैस की आपूर्ति से रूस को हर साल लगभग 5.2 अरब डॉलर की आय होती थी। अब इस मार्ग के बंद होने से रूस ने एक महत्वपूर्ण बाजार खो दिया है।
रूस का नया विकल्प
यदि इस सर्दी में रूसी गैस यूरोप तक नहीं पहुंचती है, तो यूरोपीय देशों ने पहले से ही विकल्प खोज लिए हैं। वे कतर और अमेरिका से लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) खरीदेंगे। नॉर्वे भी गैस की आपूर्ति करेगा, जबकि रूस अपने बचे हुए गैस को चीन को बेचेगा। गैस आपूर्ति के मार्ग के समाप्त होने से यूक्रेन को भी आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि वह हर साल 800 मिलियन डॉलर ट्रांजिट शुल्क के रूप में कमाता था।
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