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अमर चिरंजीवियों की सूची: हनुमान जी से लेकर कृपाचार्य तक

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हनुमान जी: अमरता का वरदान

हनुमान जी को शिवजी का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। सनातन धर्म के अनुसार, हनुमान जी चिरंजीवी हैं, और यह विश्वास किया जाता है कि वह आज भी इस धरती पर विद्यमान हैं। इसके अलावा, उनके साथ सात अन्य चिरंजीवी भी हैं, जिनके बारे में हम आगे जानेंगे।


हनुमान जी image

भगवान शिव के अवतार हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। मान्यता है कि जब श्रीराम अयोध्या छोड़कर बैकुण्ठ जाने वाले थे, तब हनुमान जी ने उनसे निवेदन किया कि क्या वह धरती पर रुक सकते हैं। श्रीराम ने उनकी इच्छा को स्वीकार करते हुए उन्हें अमर रहने का वरदान दिया।


परशुराम जी image

परशुराम जी भगवान विष्णु के 6वें अवतार माने जाते हैं। उन्हें भी अमर रहने का वरदान प्राप्त है। वह शिवजी के परम भक्त हैं और उनकी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें यह वरदान मिला।


विभीषण image

विभीषण, लंकापति रावण के छोटे भाई हैं और राम भक्त भी हैं। उन्होंने राम की सहायता की, जिससे रावण का वध संभव हुआ। भगवान राम ने उन्हें लंका का राजा और अमर होने का वरदान दिया।


राजा बलि image

राजा बलि दैत्यों के महाराजा थे, जिन्होंने देवताओं को पराजित किया। विष्णुजी ने बामन रूप धारण कर उनसे तीन पग भूमि मांगी और बलि को पाताल लोक में भेज दिया। कहा जाता है कि वह आज भी वहीं निवास करते हैं।


ऋषि मार्कण्डेय

ऋषि मार्कण्डेय को भगवान शिव से अमरता का वरदान मिला है। उन्होंने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया और महामृत्युंजय मंत्र की सिद्धि की।


महर्षि वेद व्यास image

महर्षि वेद व्यास को विष्णुजी का अंश माना जाता है। उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथों की रचना की और कहा जाता है कि वे कलिकाल के अंत तक जीवित रहेंगे।


अश्वत्थामा image

अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं और महाभारत युद्ध में कौरवों के सेनापति थे। उन्हें अमरता का श्राप मिला है, जिसके कारण वह अनंत काल तक धरती पर भटकते रहेंगे।


कृपाचार्य image

कृपाचार्य, अश्वत्थामा के मामा हैं और कौरवों तथा पांडवों के गुरु रह चुके हैं। उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान उनके अच्छे कर्मों के कारण मिला।


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