राजस्थान रॉयल्स की इस सीज़न में सबसे बड़ी मुश्किल ये रही कि टीम बड़े स्कोर चेज़ नहीं कर पा रही थी लेकिन अंतिम लीग मैच में टीम ने चेन्नई सुपरकिंग्स को छह विकेट से हरा दिया.
इस जीत से राजस्थान की टीम अंक तालिका में आठ अंकों के साथ नवें स्थान पर आ गई है.
अब अगर चेन्नई सुपरकिंग्स अपना आख़िरी मैच गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ नहीं जीतती है तो उसे अंतिम स्थान पर रहकर अपना अभियान ख़त्म करना पड़ेगा.
राजस्थान रॉयल्स के रन चेज में कई बार असफल रहने वाले ठप्पे को हटाने में ध्रुव जुरेल की आतिशी पारी ने अहम भूमिका निभाई. लेकिन जीत के हीरो रहे वैभव सूर्यवंशी.
सूर्यवंशी का दिखा अलग अंदाज़सूर्यवंशी ने अपने आईपीएल करियर की शुरुआत पहली गेंद पर छक्का लगाकर की थी.
उन्हें हर गेंद पर बड़ा शॉट खेलने वाले खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है. लेकिन इस मैच में वह एकदम अलग अंदाज़ में दिखे.
वह शुरुआत में जिस तरह से गेंद को देखकर संयमित पारी खेल रहे थे, उससे लग ही नहीं रहा था कि चौकों-छक्कों की बारिश करके शतक जमाने वाले सूर्यवंशी ही खेल रहे हैं.
सही मायनों में अपने ओपनिंग जोड़ीदार यशस्वी जायसवाल के आउट होने के बाद ही उन्होंने हाथ खोले.
यशस्वी जायसवाल जब 19 गेंदों में 36 रन बनाकर आउट हुए, उस समय सूर्यवंशी के खाते में सिर्फ एक रन था.
सूर्यवंशी पहले पिच पर जमे और फिर नूर अहमद के ओवर में पहली बार वो खेल दिखाया, जिसके लिए वह जाने जाते हैं.
उन्होंने एक छक्का और दो चौके लगाकर दिखाया कि वह ये मैच भी आक्रामक अंदाज़ में ही खेलने वाले हैं.
दो ओवर बाद उन्होंने रविंद्र जडेजा के ओवर में लगातार दो गेंदों पर छक्के जड़ दिए.
सूर्यवंशी ने नूर अहमद पर ही छक्का लगाकर अपना अर्धशतक पूरा किया. नूर अहमद के नो बॉल फेंकने पर मिली फ्री हिट पर उन्होंने मिड विकेट पर छक्का लगाया.
उन्होंने 33 गेंदों में चार चौकों और चार छक्कों की मदद से 57 रन की पारी खेलकर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.

कमेंट्री कर रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, "मैंने अपने जीवन में ऐसी प्रतिभा वाला खिलाड़ी नहीं देखा है. सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र में जब पहला पाकिस्तान दौरा किया था, तब वह तकनीकी रूप से बहुत मजबूत थे. पर उनके खेल में सूर्यवंशी जैसी पावर नहीं थी. वैसे भी वह अभी उस समय के सचिन से दो साल छोटे यानी 14 साल के हैं. वह सामने वाले गेंदबाज़ाों को भयग्रस्त कर देता है. उसने आज की पारी से दिखाया है कि वह ज़रूरत के हिसाब से खेलना जानता है. सही मायनों में इस पारी में ज़्यादा परिपक्वता दिखी है."
राजस्थान रॉयल्स की टीम इस सीज़न में लक्ष्य का पीछा करते हुए कई बार लड़खड़ाई है.
टीम दो बार तो अंतिम ओवर में नौ रन बनाने में भी सफल नहीं हो सकी. इसके अलावा भी कुछ जीते हुए मैच भी उसने गंवाए हैं.
ध्रुव जुरेल ने उम्दा पारी खेलकर टीम को संकट में फंसने से ही नहीं बचाया बल्कि जीत के साथ अभियान को खत्म करने में भी मदद की है.
रविचंद्रन अश्विन ने एक ही ओवर में कप्तान संजू सेमसन और वैभव सूर्यवंशी का विकेट निकाला. इसके बाद नूर अहमद ने रयान पराग को बोल्ड करके रन चेज की पुरानी कहानी दोहराने के हालात बनाए.
एक समय राजस्थान ने एक विकेट पर 135 रन बना लिए थे. पर 158 रन स्कोर पहुंचने तक चार विकेट गिर गए.
इस महत्वपूर्ण मौके पर ध्रुव जुरेल ने अपनी धड़कनों को काबू में रखते हुए रन गति को बरक़रार रखा.
उन्होंने पथिराना के गेंद पर पर छक्का लगाकर जीत दिलाई. जुरेल ने मात्र 12 गेंदों की पारी में दो चौकों और तीन छक्कों से 31 रन बनाकर टीम पर कभी दबाव बनने ही नहीं दिया.
पहले मैचों में रन चेज में असफल रहने की सबसे बड़ी वजह थी कि लगातार दो-तीन विकेट जाने के बाद बल्लेबाज एकदम रक्षात्मक हो जाते थे. इससे टीम पर दवाब बढ़ जाता था.
रन गति में पिछड़ने पर हताशा में टीम के बल्लेबाज़ विकेट गंवा देते थे.
पर इस मैच में जुरेल और हेटमायर की जोड़ी ने लगातार रन बनाना जारी रखकर दबाव धोनी की टीम पर बना दिया.
चेन्नई सुपरकिंग्स की शुरुआत बहुत ही निराशाजनक ढंग से हुई.
उन्होंने 78 रनों तक स्कोर पहुंचते आधी टीम खो दी. इतने रनों तक पहुंचने में आयुष म्हात्रे की विस्फोटक पारी ने अहम भूमिका निभाई.
म्हात्रे ने मात्र 20 गेंदों में एक छक्के और आठ चौकों की मदद से 43 रन बनाए.
इस समय लग रहा था कि चेन्नई 150-160 तक ही पहुंच पाएगी. पर इस स्थिति में डेवाल्ड ब्रेविस और शिवम दुबे ने अच्छी पारी खेलकर टीम को लड़ने लायक स्थिति में पहुंचाया.
इस जोड़ी ने 36 गेंदों में 59 रन बनाए.
डेवाल्ड ब्रेविस ने 25 गेंदों में 42 रन की पारी खेलकर एक बार फिर साबित किया कि उन्हें जूनियर एबी डिविलियर्स क्यों कहा जाता है.
वहीं शिवम दुबे इस सीज़न में थोड़े संयम से खेलकर संकट मोचक की भूमिका निभाते रहे हैं. उन्होंने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ 33 गेंदों में 43 रन की साझेदारी से स्कोर को 188 रन तक पहुंचाने में मदद की.
शिवम ने 32 गेंदों में दो चौकों और दो छक्कों की मदद से 39 रन बनाए.
इस सीज़न में राजस्थान रॉयल्स की गेंदबाज़ी मजबूत पक्ष नहीं रही है. लेकिन पहले युद्धवीर और फिर आकाश मधवाल ने अच्छी गेंदबाज़ी से जीत का आधार तैयार किया.
युद्धवीर ने तो अपने पहले और मैच के दूसरे ओवर में डेवोन कॉनवे और उर्विल पटेल के विकेट निकालकर अपनी टीम को बेहतर स्थिति में पहुंचा दिया. उन्होंने चार ओवरों में 47 रन देकर तीन विकेट निकाले.
मधवाल की गेंदबाज़ी में कोई बहुत गति नहीं है पर उन्होंने रिवर्स स्विंग का अच्छा इस्तेमाल करके चेन्नई को 200 पार जाने से रोक दिया.
यह गेंदबाज़ी का ही कमाल था कि आखिरी तीन ओवरों में चेन्नई सुपरकिंग्स मात्र 17 रन ही जोड़ सकी. मधवाल ने 29 रन देकर तीन विकेट निकाले.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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