सीबीआई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में अपना फैसला सुनाया है। 2015 में, तत्कालीन आयकर आयुक्त पवन कुमार शर्मा और आयकर अधिकारी शैलेंद्र भंडारी को जोधपुर के सोजती गेट के पास एक ज्वेलरी शोरूम से ₹15 लाख (लगभग 15 लाख डॉलर) की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने इस मामले की गहन जाँच की, जिसमें यह पाया गया कि दोनों अधिकारियों ने अपने पदों का दुरुपयोग किया और ज्वैलर्स से अवैध धन उगाही की। अदालत ने दोनों आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाते हुए उन्हें चार-चार साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई। ज्वैलर चंद्रप्रकाश कट्टा को इस मामले में बरी कर दिया गया। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पीके शर्मा और शैलेंद्र भंडारी ने भ्रष्टाचार के जघन्य कृत्य किए जिससे जनता का विश्वास गंभीर रूप से कम हुआ।
आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया
यह मामला तब प्रकाश में आया जब सीबीआई ने 2015 में सोजती गेट स्थित एक ज्वेलरी शोरूम से आरोपियों को गिरफ्तार किया। जाँच में पता चला कि यह राशि सीधे तौर पर रिश्वत के रूप में ली गई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा, "भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी स्तर पर सख्ती ज़रूरी है। यह फैसला इस बात का उदाहरण है कि कानून की पहुँच बहुत दूर तक होती है।"
विभाग की छवि को नुकसान
आयुक्त पीके शर्मा और अधिकारी शैलेंद्र भंडारी पर लगे आरोप सिद्ध होने के बाद यह सज़ा सुनाई गई। दोनों अधिकारियों पर संवैधानिक पदों पर रहते हुए रिश्वत लेने के आरोपों ने कर विभाग की छवि धूमिल की थी। अदालत ने मामले से जुड़े सभी सबूतों को ध्यान में रखते हुए दोषियों को सज़ा सुनाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिया।
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