संघर्ष विराम के बाद भारत-पाक के बीच युद्ध का खतरा फिलहाल टल गया है, लेकिन श्रीगंगानगर सेक्टर समेत कई इलाकों में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसानों के हजारों एकड़ खेत खाली पड़े हैं। कंटीली तार के पार जिन किसानों की कृषि भूमि है, उन्हें अभी तक कृषि कार्य के लिए वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई है। दरअसल, पहलगाम में आतंकी हमले के बाद बीएसएफ ने किसानों के कंटीली तार के पार कृषि कार्य के लिए जाने पर रोक लगा दी थी। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे सुजावलपुर गांव के किसान रेशम सिंह ने बताया कि जब भी दोनों देशों के बीच तनाव होता है, तो सुरक्षा कारणों से कंटीली तार के पार जिन किसानों की भूमि है, उन्हें वहां कृषि कार्य के लिए जाने से रोक दिया जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ।
कंटीली तार के इस पार से प्रतिबंध हटा
रेशम सिंह की दस बीघा जमीन कंटीली तार के उस पार है। यह अच्छी बात रही कि इस बार बीएसएफ ने रबी की फसल कटने के बाद प्रतिबंध लगाया। अगर यह पहले लगाया जाता तो किसानों की पकी हुई गेहूं की फसल नष्ट हो जाती। रेशम सिंह ने बताया कि दोनों देशों के बीच तनाव के दौरान बाड़ के इस पार भी किसानों को कृषि कार्य के लिए खेतों में जाने पर रोक थी। हालांकि युद्ध विराम के बाद यह रोक हटा दी गई है।
खेत खाली पड़े हैं, किसान उन्हें देखने नहीं जा पा रहे
सीमा से सटे गांव कोठा के किसान बब्बू बिल्ला ने बताया कि रबी की फसल की कटाई के बाद जब भारत-पाक के बीच तनाव की स्थिति बनी तो बीएसएफ ने बाड़ के उस पार खेतों में जाने पर रोक लगा दी थी। युद्ध विराम के बाद भी यह रोक नहीं हटाई गई है। अभी गंग नहर में पानी नहीं है, इसलिए खरीफ की बिजाई करना मुश्किल है। हालांकि अगर मानसून आने तक रोक हट जाती है तो ग्वार की बिजाई की जा सकेगी।
इस बार बाड़ के उस पार के खेत खाली रहेंगे
सीमावर्ती गांव हिंदूमलकोट के किसान दर्शन सिंह भलूरिया की बीस बीघा जमीन बाड़ के उस पार है। इस किसान का कहना है कि नहर में पानी नहीं होने से इस बार तारबंदी के पार उनके खेतों में खरीफ की फसल नहीं बोई जाएगी, जिससे खेत खाली रह जाएंगे।
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